स्वप्निल कुसाले ने भारत को 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में पहला ओलंपिक कांस्य दिलाया

Ankit
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शेटराउ, एक अगस्त ( भाषा ) अपना पहला ओलंपिक खेल रहे भारत के स्वप्निल कुसाले ने बृहस्पतिवार को पेरिस ओलंपिक में पुरूषेां की 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में भारत को पहली बार कांस्य पदक जीता ।


क्वालीफिकेशन में सातवें नंबर पर रहे स्वप्निल ने आठ निशानेबाजों के फाइनल में 451 . 4 स्कोर करके तीसरा स्थान हासिल किया ।

भारत का इन खेलों में यह तीसरा कांस्य है । इससे पहले मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल और सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम वर्ग में कांस्य जीता था ।

भारत के ओलंपिक इतिहास में पहली बार निशानेबाजों ने तीन पदक एक ही खेलों में जीते हैं ।

चीन के लियू युकुन ( 463 . 6 ) ने स्वर्ण और यूक्रेन के सेरही कुलिश ( 461 . 3 ) ने रजत पदक जीता ।

पिछली बार भारतीय निशानेबाज लंदन ओलंपिक 50 मीटर राइफल में फाइनल में पहुंचा था जब जॉयदीप करमाकर 50 मीटर राइफल प्रोन में चौथे स्थान पर रहे थे । अब यह स्पर्धा ओलंपिक में नहीं है ।

अपने आदर्श क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की तरह रेलवे में टीसी कुसाले पहली स्टैंडिंग सीरिज के बाद चौथे स्थान पर थे । नीलिंग में उनका पहला शॉट 9 . 6 रहा लेकिन उन्होंने शानदार वापसी की ।

इसके बाद 10 . 6 और 10 . 3 स्कोर करके वह दूसरे नंबर पर पहुंचे लेकिन अगले दो शॉट 9 . 1 और 10 . 1 रहे जिससे वह चौथे स्थान पर आ गए । फिर 10 . 3 स्कोर करके वह तीसरे स्थान पर पहुंचे और अंत तक बने रहे ।

वह नीलिंग पोजिशन के बाद छठे स्थान पर थे लेकिन प्रोन के बाद पांचवें स्थान पर आ गए ।

पिछले 12 साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे कुसाले को ओलंपिक पदार्पण के लिये 12 साल तक इंतजार करना पड़ा ।

धोनी की ही तरह ‘कूल’ रहने वाले कुसाले ने विश्व कप विजेता क्रिकेट कप्तान पर बनी फिल्म कई बार देखी ।

उन्होंने क्वालीफिकेशन के बाद पीटीआई से कहा था ,‘‘ मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता । लेकिन अन्य खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं । मेरे खेल में भी शांतचित्त रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे । वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं ।’’

कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं । उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं ।

उन्होंने अपने प्रदर्शन पर कहा ,‘‘ अभी तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है । मुझे निशानेबाजी पसंद है और मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय से कर पा रहा हूं । मनु भाकर को देखकर आत्मविश्वास आया है । वह जीत सकती है तो हम भी जीत सकते हैं ।’’

भाषा

मोना पंत

पंत



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