सेबी ने ‘फ्रंट रनिंग’ मामले में नौ इकाइयों पर रोक लगाई, 21 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त की

Ankit
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नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पीएनबी मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के इक्विटी डीलर सचिन बकुल दगली और आठ अन्य इकाइयों से जुड़ी एक ‘फ्रंट-रनिंग’ योजना का भंडाफोड़ किया है। इन लोगों ने इस योजना के जरिये 21.16 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया था।


पीएनबी मेटलाइफ ने इस संदर्भ में जारी एक बयान में कहा है कि उसने जांच के दौरान सेबी के साथ पूरा सहयोग किया और इस मामले में शामिल व्यक्ति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की है।

कंपनी ने बयान में कहा, ‘‘अपनी आंतरिक प्रक्रिया के तहत हमने अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। मेटलाइट कंपनी संचालन और पारदर्शिता के उच्च मानकों का अनुपालन करती है।’’

‘फ्रंट रनिंग’ से आशय अग्रिम सूचना के आधार पर शेयर बाजार में लेन-देन करना और लाभ कमाना है। उस समय तक यह सूचना ग्राहकों को उपलब्ध नहीं होती।

मामले से संबंधित इकाइयों द्वारा फ्रंट-रनिंग तीन साल से अधिक समय तक जारी रही।

सेबी ने हाल ही में जारी एक अंतरिम आदेश में सचिन बकुल दगली और आठ अन्य इकाइयों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया और उनके द्वारा अर्जित अवैध लाभ को जब्त कर लिया। सेबी ने कुछ इकाइयों द्वारा बड़े ग्राहकों के पीएनबी मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के लेन-देन में संदिग्ध ‘फ्रंट रनिंग’ की जांच की थी।

जांच का मकसद यह पता लगाना था कि क्या संदिग्ध इकाईयों ने डीलरों और/या कोष प्रबंधकों सहित सहित अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करके बड़े ग्राहकों के लेन-देन में फ्रंट रनिंग की थी।

इस तरह इन लोगों ने सेबी के पीएफयूटीपी (धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध) नियमों और सेबी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया था।

जांच की अवधि एक जनवरी, 2021 से 19 जुलाई, 2024 तक थी। अपनी जांच में सेबी ने पाया कि पीएनबी मेटलाइफ में अधिकांश लेन-देन से संबंधित निर्णय निष्पादन के लिए सचिन दगली को सौंपे गए थे।

नियामक ने पाया कि सचिन बकुल दगली (इक्विटी डीलर, पीएनबी मेटलाइफ) और उनके भाई तेजस दगली (इक्विटी सेल्स ट्रेडर, इन्वेस्टेक) ने पीएनबी मेटलाइफ और इन्वेस्टेक के संस्थागत ग्राहकों के आगामी ऑर्डर के बारे में गोपनीय, गैर-सार्वजनिक जानकारी प्राप्त की। उन्होंने इस जानकारी का उपयोग लेन-देन के लिए किया और इसे संदीप शंभरकर के साथ साझा किया, जिसने धनमाता रियल्टी प्राइवेट लि.(डीआरपीएल), वर्थी डिस्ट्रिब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (डब्ल्यूडीपीएल) और प्रग्नेश संघवी के खातों के जरिये फ्रंट रनिंग लेन-देन का क्रियान्वयन किया।

डीआरपीएल और डब्ल्यूडीपीएल के निदेशक, जिनमें अर्पण कीर्तिकुमार शाह, कविता साहा और जिग्नेश निकुलभाई दाभी शामिल हैं, ने भी इस योजना का फायदा उठाया। इस लोगों ने सेबी अधिनियम और धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार (पीएफयूटीपी) विनियमों का उल्लंघन करते हुए एक धोखाधड़ी वाली फ्रंट-रनिंग योजना बनाने और उसे चलाने के लिए मिलीभगत कर अवैध लाभ कमाया।

सेबी ने कहा कि डीआरपीएल, डब्ल्यूडीपीएल और प्रग्नेश सांघवी के खातों के जरिये फ्रंट रनिंग के 6,766 मामले सामने आए। इन इकाइयों ने इस तरह से 21,15,78,005 रुपये का अवैध लाभ कमाया। सेबी ने कहा कि इन इकाइयों के खातों में फ्रंट रनिंग गतिविधियों का सिलसिला तीन साल से अधिक समय तक चला।

सेबी ने इन इकाइयों पर अगले आदेश तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से शेयरों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है।

भाषा अजय रमण अजय प्रेम

प्रेम



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