नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी ने गलत वित्तीय विवरण देने और खुलासा प्रावधानों के उल्लंघन पर मंगलवार को डीबी रियल्टी, इसके प्रवर्तकों एवं अन्य अधिकारियों समेत आठ इकाइयों पर कुल 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने आदेश में कहा कि डीबी रियल्टी लिमिटेड (अब वैलोर एस्टेट), विनोद कुमार गोयनका (डीबी रियल्टी के प्रवर्तक एवं चेयरपर्सन) और शाहिद बलवा उस्मान (प्रवर्तक एवं प्रबंध निदेशक) पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इसके अलावा सेबी ने आसिफ यूसुफ बलवा, जयवर्धन विनोद गोयनका, सलीम बलवा उस्मान, सुनीता गोयनका और नबील यूसुफ पटेल पर भी दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
बाजार नियामक ने अपने अंतिम आदेश में कहा कि पीबीपीएल द्वारा लिए गए ऋण के लिए बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) को दी गई गारंटी के संबंध में डीबी रियल्टी वित्तीय विवरणों की तैयारी और प्रस्तुति में लेखांकन मानकों का पालन करने में विफल रही। इस वजह से सूचीबद्धता समझौते एवं खुलासा नियमों का उल्लंघन हुआ है।
सेबी के मुख्य महाप्रबंधक जी रामर ने अपने आदेश में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकरण, गारंटी भुनाने, संपत्तियों का प्रतीकात्मक कब्जे के संबंध में घटनाओं का ब्योरा उचित रूप से देना चाहिए था।’’
सेबी का यह आदेश दिसंबर, 2020 में मिली शिकायतों की जांच के बाद आया है। आरोप लगा था कि पुणे बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड (पीबीपीएल) ने डीबी रियल्टी लिमिटेड (डीबीआरएल) से कॉरपोरेट गारंटी और विनोद कुमार गोयनका, शाहिद बलवा और आसिफ यूसुफ बलवा से व्यक्तिगत गारंटी के साथ 2013 में बैंक ऑफ इंडिया से 225 करोड़ रुपये का ऋण लिया था।
हालांकि, इस कर्ज का इस्तेमाल उसके इच्छित उद्देश्य के बजाय अन्य समूह फर्मों का बकाया चुकाने के लिए किया गया और जून, 2020 तक ब्याज सहित बकाया राशि बढ़कर लगभग 516 करोड़ रुपये हो गई थी।
पीबीपीएल मरीन ड्राइव हॉस्पिटैलिटी एंड रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में डीबी हॉस्पिटैलिटी) के पूर्ण-स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है।
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