बेंगलुरु, चार फरवरी (भाषा) सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) द्वारा कर्जदारों को परेशान किए जाने के मामले रोकने के उद्देश्य से कर्नाटक सरकार ने एक अध्यादेश का मसौदा तैयार किया है और इसमें उल्लंघन करने को 10 साल तक के कारावास और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने सहित दंडात्मक प्रावधान का प्रस्ताव रखा गया है।
राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने इसकी पुष्टि करते हुए मंगलवार को कहा कि कर्नाटक सूक्ष्म वित्त (बलपूर्वक कार्रवाई रोकथाम) अध्यादेश 2025 को राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।
परमेश्वर ने सजा को बढ़ाकर 10 साल करने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘‘(शुरुआती मसौदे में) तीन साल का प्रावधान था, अब हमने इसे बढ़ा दिया है। जुर्माना भी बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया है कि कानून की मार (उल्लंघन करने वालों को) महसूस हो। अगर कानून को यूं ही बेपरवाही से बना दिया जाएगा तो ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी इसलिए जुर्माना (राशि) और सजा (अवधि) बढ़ा दी गई है ताकि यह एक तरह से निवारक के तौर पर काम करे।’’
उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘राज्यपाल शहर से बाहर हैं और वापस आने पर वह इस पर विचार करने के बाद संभवत: अपनी सहमति देंगे।’’
सरकार ने सूक्ष्म वित्त (छोटे कर्ज देने वाली) संस्थाओं के ऋण वसूली के तरीकों के खिलाफ राज्य के विभिन्न हिस्सों से कई शिकायतें मिलने और आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर अध्यादेश जारी करने का फैसला किया।
भाषा
सिम्मी नरेश
नरेश