तिरुवनंतपुरम, आठ फरवरी (भाषा) सीएसआईआर-एनआईआईएसटी (राष्ट्रीय अंतःविषय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान) ने शनिवार को घोषणा की कि उसने एक स्वचालित बायोमेडिकल कचरा रूपांतरण रिग विकसित की है, जो महंगे और ऊर्जा-गहन भस्मक के इस्तेमाल के बिना रोगजनक कचरे को कीटाणुरहित कर सकती है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार ‘‘सृजनम’’ नामक इस रिग की औपचारिक शुरुआत केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा की जायेगी तथा 10 फरवरी को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आयोजित एक समारोह में इसे स्थापित कर चालू किया जायेगा।
बयान के अनुसार इस तकनीक के जरिये रक्त, मूत्र, थूक और प्रयोगशाला के कचरे जैसे रोगजनक बायोमेडिकल कचरे को महंगे और ऊर्जा-गहन भस्मक के उपयोग के बिना कीटाणुरहित किया जा सकता है। साथ ही इन दुर्गंधयुक्त विषाक्त कचरे को सुगंधित भी बनाया सकता है।
इसके अनुसार प्रारंभिक चरण में प्रतिदिन 400 किलोग्राम की क्षमता वाला प्रोटोटाइप (विकसित संस्करण) उपकरण प्रतिदिन 10 किलोग्राम सड़ने योग्य चिकित्सा अपशिष्ट का निपटान कर सकता है।
बयान के अनुसार एक बार मान्य हो जाने और सक्षम अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद यह तकनीक पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन के लिए तैयार हो जाएगी।
इसके अनुसार इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से, सीएसआईआर-एनआईआईएसटी का लक्ष्य रोगजनक बायोमेडिकल कचरे के सुरक्षित, सस्ते और पर्यावरण-अनुकूल निपटान के लिए एक अभिनव और वैकल्पिक समाधान प्रदान करना है।
भाषा
नरेश देवेंद्र
नरेश