सीआईआई ने रोजगार सृजन के लिए सात सूत्री एजेंडा सुझाया |

Ankit
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नयी दिल्ली, पांच जनवरी (भाषा) भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने रविवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के आगामी वार्षिक बजट में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए अधिक उपायों की घोषणा की जा सकती है।


उद्योग संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि युवा आबादी को उत्पादक बनाने और दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन महत्वपूर्ण है।

उद्योग निकाय ने भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने के लिए सात सूत्री एजेंडा का सुझाव दिया है, जिसमें अन्य लक्षित उपायों के अलावा एक एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति, श्रम-प्रधान क्षेत्रों को समर्थन, तथा एक अंतरराष्ट्रीय परिवहन प्राधिकरण की स्थापना शामिल है।

भारत की औसत आयु मात्र 29 वर्ष है। भारत एक युवा देश है, तथा 2050 तक इसकी कार्यशील आयु वर्ग की आबादी में 13.3 करोड़ लोग जुड़ने वाले हैं।

सीआईआई ने कहा कि सरकार कॉलेज-शिक्षित युवाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कार्यालयों में इंटर्नशिप कार्यक्रम शुरू करने पर विचार कर सकती है।

इसने तर्क दिया कि यह पहल शिक्षा और व्यावसायिक कौशल के बीच की खाई को पाटते हुए सरकारी कार्यालयों में अल्पकालिक रोजगार के अवसर पैदा करेगी।

कार्यक्रम विभिन्न ग्रामीण कार्यक्रमों और सरकारी पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपलब्ध जनशक्ति संसाधनों को बढ़ाने में भी मदद करेगा।

सीआईआई ने नए रोजगार को बढ़ावा देने के लिए आयकर नियम के तहत धारा 80जेजेएए के स्थान पर एक नया प्रावधान शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा है। नया प्रावधान सकल कुल आय से अध्याय वीआईए कटौती के रूप में जारी रहना चाहिए, जो करदाता द्वारा रियायती कर व्यवस्था का विकल्प चुनने पर भी उपलब्ध है।

इसने एक एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति का प्रस्ताव किया है, जिसके अंतर्गत विभिन्न मंत्रालयों/राज्यों द्वारा वर्तमान में कार्यान्वित की जा रही रोजगार सृजन योजनाओं को शामिल किया जा सकता है।

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “रोजगार बढ़ाने के साथ-साथ भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उत्पादकता बढ़े। भारत के वृद्धिशील पूंजी उत्पादन अनुपात (आईसीओआर) को इसके वर्तमान स्तर 4.1 से नीचे लाने की जरूरत है। हमें इसे मापने के लिए मानक स्थापित करने की जरूरत है। वास्तव में, केंद्रीय बजट में इस पर अधिक विस्तार से अध्ययन करने और आगे के उपायों की सिफारिश करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जा सकती है।”

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय



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