पटना, चार फरवरी (भाषा) सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) भर्ती परीक्षाओं में व्यापक ‘अनियमितताओं और कदाचार’ की जांच में सामने आया है कि गिरोह के सरगना से जुड़ी कंपनी को एम्स ( गुंटूर-आंध्र प्रदेश) में भर्ती परीक्षा के लिए भी ठेका दिया गया था। बिहार पुलिस ने यह जानकारी दी।
बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि उसने एक दिसंबर, 2024 को पटना में विभिन्न केंद्रों पर सीएचओ की भर्ती की ऑनलाइन परीक्षा के दौरान की गई अनियमितताओं और कदाचार की जांच के सिलसिले में अब तक कुल 38 लोगों को गिरफ्तार किया है।
बयान के अनुसार जांच में पता चला है कि गिरोह का सरगना रवि भूषण ‘मैसर्स ब्रांसाइज टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड’ नामक एक कंपनी चला रहा था। यह कंपनी ‘रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी)’, मुंबई के साथ पंजीकृत है।
बयान के मुताबिक कंपनी को एम्स, मंगलगिरी (आंध्र प्रदेश) में भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा का ठेका दिसंबर 2024 में मिला था… लेकिन बिहार में सीएचओ परीक्षा में अनियमितताओं और कदाचार से संबंधित मामले में रवि भूषण और अन्य आरोपियों का नाम आने के बाद यह परीक्षा स्थगित कर दी गई थी।
बिहार सरकार ने दो दिसंबर, 2024 को ईओयू को पटना में तीन केंद्रों पर ऑनलाइन परीक्षा के दौरान व्यापक ‘अनियमितताएं और कदाचार’ मिलने पर सीएचओ भर्ती परीक्षा रद्द कर दी थी।
बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसायटी ने एक दिसंबर 2024 को पटना में 12 ऑनलाइन केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की थी।
बयान में कहा गया है, ‘पुलिस ने इस सिलसिले में नौ उम्मीदवारों, परीक्षा केंद्रों के मालिकों और कर्मचारियों और आईटी प्रबंधकों सहित कुल 38 लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी 12 परीक्षा केंद्रों को पुलिस ने सील कर दिया है।’
जांच के दौरान यह बात सामने आयी कि एक संगठित गिरोह द्वारा परीक्षा केन्द्रों के संचालकों, परीक्षा को संचालित करने के लिए अधिकृत कंपनी वी शाईन टेक्नोलॉजी प्राईवेट लिमिटेड इत्यादि के साथ मिलीभगत कर ‘प्रोक्सी सर्वर’, ‘रिमोट एक्सेस एप्लीकेशन’ के माध्यम से कुछ परीक्षार्थियों की खातिर ‘सोल्वर गैंग’ की सहायता से प्रश्नपत्र हल किये जा रहे थे। इन परीक्षार्थियों के साथ चार-पांच लाख रूपये का सौदा हुआ था।
बयान में कहा गया है कि गिरोह द्वारा किए गए पैसों के लेन-देन से संबंधित नए साक्ष्य भी बरामद किए गए हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है। इस संगठित गिरोह के सरगना और अन्य सदस्यों को गिरफ्तार करने के प्रयास जारी हैं।
ईओयू ने अब तक 35 लैपटॉप, डेस्कटॉप (30), मोबाइल फोन (50), फर्जी आधार और पैन कार्ड (25), प्रॉक्सी सर्वर, रिमोट एक्सेस एप्लीकेशन आदि बरामद किए हैं।
बयान के मुताबिक ‘गिरफ्तार अभ्यर्थियों ने खुलासा किया कि सॉल्वर (पैसे लेकर प्रश्नपत्र हल करने वाले)’ समेत माफिया सीएचओ परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र मांगने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी से चार से पांच लाख रुपये लेते थे। राशि का एक हिस्सा पहले ही अभ्यर्थियों से ले लिया गया था और शेष राशि का भुगतान परिणाम के बाद किया जाना था।
जांच में यह भी पता चला है कि इस परीक्षा में पेपर लीक के पीछे कुख्यात रविभूषण गिरोह के सदस्य थे।
नालंदा जिला निवासी रविभूषण की भूमिका की कई अन्य पेपर लीक मामलों में भी जांच की जा रही है।
भाषा अनवर राजकुमार
राजकुमार
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