नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को मुर्गीपालन केंद्रों से स्वच्छता नियमों को बढ़ाने, केंद्रों तक पहुंच को नियंत्रित करने और एक महीने के भीतर अधिकारियों के समक्ष पंजीकृत कराने को कहा ताकि ‘बर्ड फ्लू’ के प्रकोप पर बेहतर तरीके से नजर रखी जा सके और उसे नियंत्रित किया जा सके।
एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो पक्षियों को प्रभावित करता है तथा कभी-कभी स्तनधारियों में भी फैल जाता है। वर्ष 2006 में भारत में इसका पहली बार पता चलने के बाद से इसका प्रकोप झारखंड, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के छह क्षेत्रों में देखा गया है।
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस वर्ष, वायरस ने अन्य प्रजातियों में संचरण दिखाया है, जिससे न केवल मुर्गीपालन केंद्र बल्कि जंगली पक्षी और कुछ क्षेत्रों में बाघ भी प्रभावित हुए हैं।’’
अधिकारी ने बताया कि पशुपालन एवं डेयरी सचिव अलका उपाध्याय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें अधिकारियों ने इस संकट से निपटने के लिए त्रि-आयामी रणनीति पर सहमति व्यक्त की।
इस दृष्टिकोण में संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए मुर्गीपालन केंद्रों में सख्त स्वच्छता प्रथाओं और जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू करना शामिल है, साथ ही एक महीने के भीतर सभी केंद्रों का अनिवार्य पंजीकरण भी शामिल है।
अलका उपाध्याय ने बैठक के दौरान कहा, ‘‘ हमारे मुर्गीपालन केंद्रों की सुरक्षा खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है। बर्ड फ्लू के खिलाफ हमारी लड़ाई में सख्त जैव सुरक्षा, वैज्ञानिक निगरानी और उद्योग से जुड़े जिम्मेदारी पूर्ण तौर-तरीके आवश्यक हैं।’’
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