नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) उचित सड़क अवसंरचना का अभाव, गोदाम के लिए भूमि की उपलब्धता और कुशल कार्यबल की कमी, लॉजिस्टिक उद्योग के सामने आने वाली कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं। विशेषज्ञों ने यह बात कही है।
उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी के कारण लॉजिस्टिक की मांग बढ़ रही है, इसलिए भंडारण के लिए महानगरों और उसके आसपास भूमि की उपलब्धता की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारत में भंडारण क्षेत्र अत्यधिक विखंडित है, जिसमें कई छोटी और असंगठित कंपनियां हैं, जिससे अकुशलता, मानकीकरण की कमी और सीमित मापनीयता होती है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं सह-समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) श्रीकुमार कृष्णमूर्ति ने कहा कि उचित सड़क अवसंरचना की कमी और भीड़भाड़ के कारण आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता पर असर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में कुछ बाधाएं प्रतिस्पर्धी दबावों, मुद्रास्फीति के माहौल और अपेक्षाकृत स्थिर डीजल कीमतों के बीच माल ढुलाई दरों में वृद्धि करने की राह में कठिनाइयां हैं।
बुकमाईकार्गो के संस्थापक जे डी यादव ने कहा कि लॉजिस्टिक उद्योग बढ़ती लागत, कुशल श्रमिकों की कमी, विनियामक दबाव और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों की समस्या का सामना कर रहा है।
ये चुनौतियां लॉजिस्टिक कंपनियों को प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए लागत प्रबंधन, कार्यबल और प्रौद्योगिकी निवेश को संतुलित करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए लॉजिस्टिक उद्योग के प्रदर्शन पर सूद ने कहा कि हमारे आकलन के अनुसार दूसरी छमाही की संभावनाओं में पहली छमाही की तुलना में सुधार देखने को मिलेगा। ऑनलाइन रिटेल में उछाल, खासकर त्योहारी सीजन के दौरान ने अंतिम छोर तक आपूर्ति बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा दिया है।
यादव ने कहा कि बढ़ती श्रम लागतों का मुकाबला करने और दक्षता में सुधार करने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने (स्वचालन, एआई, आईओटी) में वृद्धि होगी।
भाषा अनुराग पाण्डेय
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