लखनऊ, 25 फरवरी (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को सचिवालय प्रशासन विभाग में छह सितंबर 2023 को जारी समीक्षा अधिकारियों की वरिष्ठता सूची और 25 अक्टूबर 2023 को अनुभाग अधिकारी के पद पर पदोन्नति संबंधी आदेश को रद्द कर दिया।
इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को नयी वरिष्ठता सूची जारी करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति आलोक माथुर की पीठ ने शिव दत्त जोशी व अन्य की याचिका पर यह फैसला सुनाया। यह आदेश और वरिष्ठता सूची को रद्द करते हुए अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह विधि का सर्वमान्य सिद्धांत है कि तीन-चार वर्ष के बाद वरिष्ठता में बदलाव नहीं किया जा सकता, जबकि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ताओं व अन्य अधिकारियों की वरिष्ठता सात वर्ष की अवधि के बाद बदली गई जो विधि सम्मत नहीं है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी थी कि 13 जुलाई 2016 को आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं समेत 144 सहायक समीक्षा अधिकारियों को अनुभाग अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया था और इस आदेश में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने यह भी स्पष्ट किया था कि उक्त अधिकारियों की पदोन्नति 30 जून 2016 से मानी जाएगी।
अधिवक्ता ने दलील दी कि इसके बाद विभाग में अब तक तीन बार वरिष्ठता सूची बनाई जा चुकी है, जिसमें इन सीधी भर्ती वाले समीक्षा अधिकारियों की 30 जून 2016 से पदोन्नति माने जाने के विरुद्ध आपत्तियां खारिज की जा चुकी हैं। इसके बावजूद नौ अगस्त 2023 को सरकार ने यह कहते हुए कि पिछली तिथि से पदोन्नति देना विधि सम्मत नहीं है, याचिकाकर्ताओं व अन्य अधिकारियों की पदोन्नति की तिथि 13 जुलाई 2016 मानने का आदेश पारित कर दिया।
इस आदेश के अनुक्रम में वरिष्ठता सूची तैयार की गई, जिसमें सीधी भर्ती वाले समीक्षा अधिकारियों को वरिष्ठता क्रम में पदोन्नत अधिकारियों से ऊपर रखा गया।
दलील दी गई कि इसके बाद 25 अक्टूबर 2023 को पदोन्नति आदेश पारित करते हुए सीधे भर्ती वाले समीक्षा अधिकारियों को अनुभाग अधिकारी के पद पर पदोन्नत कर दिया गया।
भाषा सं सलीम आशीष
आशीष