सनातन धर्म और चातुर्वर्ण्य जाति व्यवस्था के बीच कोई संबंध नहीं : शिवगिरी मठ प्रमुख |

Ankit
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तिरुवनंतपुरम, तीन जनवरी (भाषा) शिवगिरी मठ के प्रमुख स्वामी सच्चिदानंद ने शुक्रवार को कहा कि उनके अध्ययनों में सनातन धर्म और चातुर्वर्ण्य जाति व्यवस्था के बीच कोई संबंध नहीं मिला है।


स्वामी सच्चिदानंद का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की इस टिप्पणी को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि संत सुधारक और शिवगिरी मठ के संस्थापक श्री नारायण गुरु न तो सनातन धर्म के पैरोकार थे और न ही उसके अनुयायी, लेकिन उन्होंने इसके स्वरूप में बदलाव किया था और नये युग के अनुकूल धर्म की स्थापना की थी। नारायण गुरु ने “लोगों के लिए एक जाति, एक धर्म और एक ईश्वर” व्यवस्था की वकालत की थी।

विजयन ने एक जनवरी को शिवगिरी तीर्थ सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान यह टिप्पणी की थी।

स्वामी सच्चिदानंद के मुताबिक, सनातक धर्म एक महान सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है, जो दुनिया भर में धर्मों के उभरने से बहुत पहले प्राचीन भारत में अस्तित्व में थी।

एक समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस सभ्यता के हिस्से के रूप में भारत में ईसाई और इस्लाम सहित सभी धर्मों का स्वागत किया गया।

स्वामी सच्चिदानंद ने कहा, “हालांकि, आज सनातन धर्म को अक्सर चातुर्वर्ण्य जाति व्यवस्था के पर्याय के रूप में देखा जाता है, जो कि गलत है और जिसे बदलने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि गहन अध्ययन और विश्लेषण की कमी इस गलतफहमी की मुख्य वजह है।

स्वामी सच्चिदानंद ने इस बात को रेखांकित किया कि श्रीनारायण सोसाइटी (श्री नारायण गुरु के अनुयायी) महान संत को भगवान मानते हैं।

उन्होंने कहा कि श्री नारायण गुरु अद्वैत सत्य के प्रतिनिधि के रूप में सनातन धर्म का हिस्सा हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर स्वामी सच्चिदानंद की प्रतिक्रिया की सराहना की और कहा कि श्री नारायण गुरु वास्तव में सनातन धर्म का हिस्सा हैं।

भाजपा ने विजयन की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। पार्टी ने मुख्यमंत्री पर शिवगिरी की पावन भूमि पर सनातन धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया था।

भाजपा ने यह भी कहा था कि विजयन ने अपनी टिप्पणियों के जरिये श्री नारायण गुरु के अनुयायियों का अपमान किया है।

मुरलीधरन ने कहा था, “शिवगिरी सम्मेलन में विजयन के संबोधन का सार यह था कि सनातन धर्म से नफरत की जानी चाहिए। उनकी टिप्पणी उदयनिधि स्टालिन के उस बयान की अगली कड़ी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म को खत्म कर दिया जाना चाहिए।”

कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने भी सनातन धर्म पर विजयन की टिप्पणी की आलोचना की थी। उन्होंने इसे सनातन धर्म को संघ परिवार तक सीमित करने का प्रयास करार दिया था।

सतीशन ने कहा था, “सनातन धर्म एक सांस्कृतिक विरासत है। इसमें अद्वैत, तत् त्वम् असि, वेद, उपनिषद और उनका सार शामिल है। ऐसा दावा करना कि यह सब संघ परिवार का है, गलत और भ्रामक है।”

भाषा पारुल दिलीप

दिलीप



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