संविधान देश का ‘डीएनए’ है, लेकिन भाजपा और संघ के लिए यह कोरी किताब है: राहुल |

Ankit
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अमरावती, 16 नवंबर (भाषा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी संविधान को देश का ‘डीएनए’ मानती है, जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के लिए यह एक ‘‘कोरी किताब’’ है।


महाराष्ट्र के अमरावती में एक रैली में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकारें गिराई जा सकती हैं जैसा कि महाराष्ट्र में किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें यह भी नहीं लिखा है कि बड़े उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया जा सकता है।

राहुल ने कहा, ‘‘कांग्रेस संविधान को देश का डीएनए मानती है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा और संघ के लिए यह एक कोरी किताब है।’’

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा द्वारा हाल ही में किए गए उस दावे के बाद यह टिप्पणी की है जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस नेता अपनी चुनावी रैलियों में संविधान की एक प्रति दिखा रहे हैं जिसके अंदर खाली पन्ने हैं।

राहुल ने आरोप लगाया, ‘‘मेरी बहन ने मुझे बताया कि इन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसी मुद्दे पर बोल रहे हैं जिसे मैं उठाता रहा हूं। मैंने उनसे लोकसभा में कहा था कि जाति जनगणना होनी चाहिए और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाई जानी चाहिए। अब वह अपनी चुनावी रैलियों में कह रहे हैं कि मैं आरक्षण के खिलाफ हूं। वह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की तरह याददाश्त चले जाने की समस्या से ग्रस्त हैं।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अब कहेंगे कि राहुल गांधी जाति जनगणना के खिलाफ हैं।

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘विरोधी लोगों ने मेरी छवि खराब करने और मुझे बदनाम करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं जबकि मैं दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए खड़ा हूं।’’

राहुल गांधी ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी किसानों और छोटे व्यवसायों को खत्म करने के हथियार हैं। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी बढ़ रही है और इसी कारण समाज में नफरत फैल रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘’मैं मोदी जी से कहना चाहता हूं कि आपको उद्योगपतियों ने प्रधानमंत्री नहीं चुना है, देश की जनता ने आपको चुना है। यह सच है कि उद्योगपतियों ने उनका प्रचार किया है।’’

भाषा प्रीति वैभव

वैभव



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