नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर बृहस्पतिवार को दुख जताया और कहा कि वह हर परिस्थिति में संवाद, सर्वसम्मति और सुलह की राजनीति में विश्वास करते थे।
मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 92 साल के थे।
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में कई विभागों में मंत्री रहे रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ पूर्णता से भरे और बेहद प्रतिष्ठित एक जीवन का अंत हो गया है। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त सचिव, रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री। ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज दोनों के पूर्व छात्र। 1956 में कैम्ब्रिज में प्रतिष्ठित एडम स्मिथ पुरस्कार के विजेता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मृदुभाषी, शांतचित्त और हमेशा गरिमा से भरा, उनका दृढ़ संकल्प था। वह अपने 1991, 1992 और अन्य बजटों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था के ‘टेक्नोक्रेट ट्रांसफॉर्मर’ थे। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में देश को ग्रामीण रोज़गार, आदिवासी अधिकार, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण, प्राथमिक शिक्षा, खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण से संबंधित क्रांतिकारी कानून मिले।’’
रमेश के अनुसार, सिंह के कार्यकाल में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता एक मील का पत्थर था जिसने भारत की वैश्विक साख को बढ़ाया तथा उनके कार्यकाल में जीडीपी वृद्धि दर सबसे अधिक रही।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘वह हृदय से सज्जन इंसान थे। उनके दिल में किसी के प्रति कोई दुर्भावना या द्वेष नहीं था। वह कठिन परिस्थितियों में भी बातचीत, सर्वसम्मति और सुलह की राजनीति में विश्वास करते थे और उसका पालन करते थे। विनम्रता और सत्यनिष्ठा उनकी पहचान थी। जिन लोगों ने उन्हें बदनाम करने की कोशिश की, उन्होंने अपना ही असली रंग दिखाया।’’
रमेश ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने जो पहल की थी उनमें से कई की मार्केटिंग और ब्रांडिंग उनके बाद उस पद पर बैठने वाले के योगदान के रूप में की गई। लेकिन डॉ. सिंह ने कभी बुरा नहीं माना, वह सिर्फ़ अपने चिरपरिचित अंदाज़ में मुस्कुरा कर रह जाते।’’
रमेश के मुताबिक, ‘‘वह सितंबर 1986 में मुझे योजना आयोग में लाए थे और तब से 38 वर्षों तक उनके साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े रहना मेरा सौभाग्य रहा। अपने अद्वितीय और विशिष्ट व्यवहार से डॉ. मनमोहन सिंह ने हमारे इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।’’
भाषा हक हक अविनाश शोभना
शोभना