संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए विश्व के नेता न्यूयॉक में जुट रहें

Ankit
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संयुक्त राष्ट्र, 22 सितंबर (एपी) विश्व में जारी संघर्षों और संकटों का सामना करते हुए, इस सप्ताह के वार्षिक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लेने वाले नेताओं के समक्ष चुनौती न केवल ज्वलंत मुद्दों पर बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के आधुनिकीकरण पर ‘‘साथ मिलकर काम करने’’ की है, ताकि भविष्य के खतरों और समस्याओं से निपटा जा सके।


संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने पिछले सप्ताह कहा था कि ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ इस कठोर सच्चाई से उपजा है कि ‘‘इन मुद्दों का हल करने की हमारी क्षमता की तुलना में अंतरराष्ट्रीय चुनौतियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं।’’

उन्होंने ‘‘नियंत्रण से बाहर भू-राजनीतिक विभाजन’’ और संघर्षों, जलवायु परिवर्तन, असमानताओं, ऋण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नयी तकनीकों की ओर इशारा किया, जिनके लिए कोई सुरक्षा कवच नहीं है।

न्यूयॉर्क सिटी स्थित संयुक्त राष्ट्र परिसर में विश्व के नेताओं की उच्च स्तरीय बैठक शुरू होने से दो दिन पहले रविवार को दो दिवसीय शिखर सम्मेलन शुरू हुआ।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शिखर सम्मेलन के 42 पन्नों वाले मुख्य परिणाम दस्तावेज ‘‘भविष्य का समझौता’’ को रविवार सुबह संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष फिलेमोन यांग द्वारा सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी, जिसके बाद वैश्विक संस्था में रूस द्वारा प्रस्तावित संशोधनों पर विचार करने के खिलाफ 143 वोट दिए, सात वोट समर्थन में पड़े और 15 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

यह समझौता संघर्षों और जलवायु परिवर्तन से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संयुक्त राष्ट्र तथा वैश्विक संस्थाओं में सुधार जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक खाका है। इसका प्रभाव 193 सदस्य देशों द्वारा इसके क्रियान्वयन पर निर्भर करेगा।

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, ‘‘नेताओं को खुद से पूछना चाहिए कि क्या यह एक और बैठक होगी जिसमें वे केवल अधिक सहयोग और आम सहमति के बारे में बात करेंगे, या क्या वे वास्तव में इसे मूर्त रूप देने के लिए भाव और दृढ़ विश्वास दिखाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे इस अवसर को चूक जाते हैं, तो मैं परिणामों के बारे में सोचकर सहम जाती हूं। हमारा सामूहिक भविष्य दांव पर है।’’

यह शिखर सम्मेलन इस साल की उच्च स्तरीय बैठक की शुरूआत है, जो हर साल सितंबर में आयोजित की जाती है। इसमें 130 से अधिक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शासक दर्जनों मंत्रियों के साथ वक्तव्य देने वाले हैं। साथ ही, शिखर सम्मेलन के मुद्दे उनके भाषणों और निजी बैठकों में छाए रहने की उम्मीद है, विशेष रूप से गाजा, यूक्रेन और सूडान में युद्ध और पश्चिम एशिया में युद्ध के व्यापक होने की बढ़ती आशंका।

एपी सुभाष धीरज

धीरज



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