संगोष्ठी और प्रदर्शनी अविभाजित बिहार की सैन्य विरासत पर रही केंद्रित

Ankit
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पटना, 22 मार्च (भाषा) पटना के पास दानापुर छावनी में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी और प्रदर्शनी में मौर्य साम्राज्य की सैन्य शक्ति से लेकर 1857 के सिपाही विद्रोह की वीरतापूर्ण कहानियों तक अविभाजित बिहार क्षेत्र की शानदार सैन्य विरासत को लोगों के सामने लाया गया है।


बिहार रेजिमेंट सेंटर (बीआरसी) में यह कार्यक्रम 21-22 मार्च को आयोजित किया गया। शनिवार को यहां बिहार दिवस मनाया जा रहा है।

‘प्रोजेक्ट उद्भव’ के तहत बीआरसी और दिल्ली स्थित रक्षा थिंक टैंक यूएसआई ने मिलकर ‘बिहार और छोटा नागपुर की सैन्य विरासत और संस्कृति’ विषयक कार्यक्रम आयोजित किया है।

प्रोजेक्ट उद्भव एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य सामरिक क्षेत्र में भारत की समृद्ध विरासत का पुनरावलोकन करना और उसका जश्न मनाना है।

उद्घाटन समारोह में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने मुख्य भाषण में वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा विद्यार्थियों और सैनिकों से बिहार की वीर भूमि की वीर गाथाओं से सीख लेने की अपील की।

दोनों दिन विषयगत सत्र आयोजित किए गए, जिसके साथ बीआरसी और पटना स्थित तीन अन्य एजेंसियों के योगदान से एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें प्राचीन मगध साम्राज्य, ईस्ट इंडिया कंपनी (ईआईसी) और ब्रिटिश राज के दौरान सैन्य मामलों से संबंधित अभिलेखीय दस्तावेजों की छवियां प्रदर्शित की गईं।

संगोष्ठी में भू-राजनीतिक विशेषताओं, प्रारंभिक साम्राज्यों जैसे सम्राट अशोक के नेतृत्व में शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, छोटा नागपुर में ईआईसी, दानापुर (तब दीनापुर) में 1857 का विद्रोह, तथा बिहार रेजिमेंट की यात्रा और राष्ट्र के लिए योगदान पर सत्र शामिल थे।

भाषा राजकुमार रंजन

रंजन



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