महाकुम्भ नगर, चार जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में साधु-संन्यासियों के अखाड़ों का प्रवेश जारी है और इसी क्रम में शनिवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने प्रवेश किया।
आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से 726 ईस्वी में स्थापित श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े की महाकुम्भ में छावनी प्रवेश यात्रा का शुभारंभ प्रयागराज के बाघम्बरी गद्दी मठ से हुआ। इस यात्रा में सबसे आगे धर्म ध्वजा, अखाड़े का प्रतिनिधित्व करती हुई चल रही थी और उसके पीछे नागा संन्यासियों की टोली हाथों में चांदी के छत्र, छड़िया, भाले और तलवार लेकर इष्ट देव भगवान कार्तिकेय की सवारी के साथ चल रही थी।
इष्ट देव की सवारी के पीछे ढोल-ताशे, लाव-लश्कर के साथ घोड़े और ऊंट पर सवार नागा संन्यासियों का जत्था चल रहा था जो सभी नगर वासियों के लिए दुर्लभ दर्शन और आकर्षण का केंद्र रहा।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री रविंद्र पुरी के अनुसार एकता और समरसता निरंजनी अखाड़े का मूल मंत्र है। महाकुम्भ की छावनी, साधु-संन्यासियों के लिये शिक्षा-दीक्षा का केंद्र होती है। इस महाकुम्भ में निरंजनी अखाड़ा हजारों की संख्या में नये नागा संन्यासियों को दीक्षा देगा जो आने वाले वर्षों में सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करेंगे।
निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में आनंद अखाड़ा भी परंपरा अनुसार शामिल हुआ और इस अखाड़े ने भी छावनी प्रवेश किया। प्रवेश यात्रा में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी, श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर बलबीर गिरी, साध्वी निरंजना ज्योति और सैकड़ों की संख्या में साधु-संन्यासी पैदल और रथों पर सवार होकर चल रहे थे।
नगर प्रशासन और मेला प्राधिकरण के अधिकारियों ने साधु-संतों का माल्यार्पण और पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इसके पश्चात पांटून पुल से गुजर कर महाकुम्भ के अखाड़ा परिसर में छावनी प्रवेश हुआ। बाजे-गाजे और मंत्रोच्चार-पूजन के साथ इष्ट देव भगवान कार्तिकेय को छावनी में स्थापित कर, साधु-संन्यासियों ने हर-हर महादेव और गंगा मैया की जय का उद्घोष किया।
भाषा राजेंद्र जितेंद्र राजकुमार
राजकुमार