श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य ने समर्थकों से कानूनी लड़ाई में एकजुट होने का आग्रह किया

Ankit
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मथुरा (उप्र), सात नवंबर (भाषा) श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य विनोद कुमार बिंदल ने मंदिर के पक्ष में दावा दाखिल करने वाले सभी दावेदारों से एकजुट होकर कानूनी लड़ाई में ट्रस्ट के साथ जुड़ने का बृहस्पतिवार को आह्वान किया।


बिंदल ने इस बात पर बल दिया कि इस सहयोग से कानूनी लड़ाई आसान हो जाएगी और ईदगाह के अंतर्गत भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट का मामला मजबूत होगा जो वर्तमान में विवाद में है।

उन्होंने कहा कि अनेक अलग-अलग दावों के कारण अदालती कार्यवाही अनावश्यक रूप से लंबी खिंच गई है, जबकि सभी दावेदार चाहते हैं कि 1967-68 के समझौते को रद्द किया जाए तथा मंदिर के लिए भूमि का पुनः मिल जाए।

बिंदल ने कहा, ‘‘कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट सीधे तौर पर प्रभावित है और उसकी कानूनी स्थिति मजबूत है, जबकि दावा करने वाले अन्य पक्षों को विरोध का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उन्हें ऐतिहासिक समझौते से सीधे प्रभावित नहीं माना जाता है। हमारे साथ जुड़ने से सामने वाले के पास दावे के खिलाफ बहस करने का कम आधार होगा।’’

श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने न्यासी ओम प्रकाश सिंघल के नेतृत्व में एक मामला दायर किया है, जिस पर अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई आगे बढ़ रही है।

बिंदल ने अन्य दावेदारों से अपने अलग-अलग दावे वापस लेने और ट्रस्ट के मामले का समर्थन करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘अन्यथा, कानूनी प्रक्रिया और लंबी खिंचती जाएगी।’’

बिंदल ने उन दावों का खंडन किया कि ट्रस्ट इस मामले में चुप या निष्क्रिय रहा है। उन्होंने कहा कि ईदगाह को हटाने के लिए दावा दायर करने वालों ने ट्रस्ट से समर्थन नहीं मांगा है, लेकिन ट्रस्ट अब उनसे एकजुट होने का आह्वान कर रहा है, जिससे उनके पक्ष को मजबूती मिलेगी।

उन्होंने स्पष्ट किया कि ट्रस्ट और अन्य दावेदार दोनों यही चाहते हैं कि ईदगाह को हटाया जाए और भगवान केशवदेव के लिए मूल स्थान की पुनर्स्थापना की जाए।

बिंदल ने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य भी उनकी तरह भगवान केशवदेव को श्री कृष्ण जन्मभूमि पर उनके मूल स्थान पर पुनः स्थापित करना है। हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे हमारे साथ जुड़ें।’’

बिंदल ने श्री कृष्ण जन्मभूमि स्थल को उसके ऐतिहासिक स्वरूप में पुनर्स्थापित करके लाखों सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए ट्रस्ट की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की, जहां ठाकुरजी के विग्रह को वर्तमान में ईदगाह वाले मूल स्थान पर रखा जाएगा।

उन्होंने तर्क दिया कि ट्रस्ट के मामले के तहत एकजुट होने से अनावश्यक देरी से बचा जा सकेगा, क्योंकि ट्रस्ट इस विवाद से सीधे प्रभावित है और उसका दावा पहले से ही सुनवाई के लिए निर्धारित है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि—शाही ईदगाह ट्रस्ट के विवाद में कुल 16 मामले में उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं जिनमें से 16 मंदिर पक्ष तथा दो ईदगाह पक्ष की ओर से किए गए हैं। मौके पर वास्तविकता यह है कि विवादग्रस्त बताई जा रही 13.37 एकड़ भूमि में से करीब 11 एकड़ भूमि पर मंदिर एवं अन्य इमारतें बनी हुई हैं और 2.37 एकड़ के दायरे में ईदगाह स्थित है।

मंदिर पक्ष का दावा है कि ईदगाह का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब के काल में वर्ष 1669-70 में तत्कालीन केशवदेव मंदिर को तोड़कर कराया गया था, जबकि ईदगाह पक्ष उनके दावे को नकारते हुए ऐसा कोई प्रमाण न होने की बात कहता है। ईदगाह पक्ष का दावा है कि इस मामले में किए गए सभी दावे पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत सुनवाई योग्य ही नहीं हैं।

भाषा सं जफर खारी

खारी



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