नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन के विरोध में सोमवार को ‘काला दिवस’ मनाया।
एक बयान में कहा गया कि लगभग सभी राज्यों की राजधानियों और अधिकांश जिला मुख्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए गए।
बयान में कहा गया कि ‘‘केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने चार श्रम संहिताओं के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया, जिसका उद्देश्य नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा श्रमिकों के श्रम अधिकारों को छीनना है। इन अधिकारों को ब्रिटिश काल से लेकर 150 से अधिक वर्षों तक लड़ी गई लड़ाइयों के बाद हासिल किया गया है।’’
ट्रेड यूनियन नेताओं ने इन संहिताओं को खत्म करने और श्रम सुधारों पर चर्चा के लिए भारतीय श्रम सम्मेलन की मांग की।
बयान में कहा गया कि कॉरपोरेट समर्थक श्रम संहिताओं को ट्रेड यूनियन आंदोलन को कुचलने के लिए बनाया गया है और यह अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों के साथ-साथ मानवाधिकारों के भी खिलाफ है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रेड यूनियनों की कार्रवाई के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की है।
आने वाले दिनों में, मज़दूरों और किसानों के दोनों मोर्चे, अपनी मांगों को लेकर संयुक्त आंदोलन की योजना बना रहे हैं।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एक्टू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं।
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