शेखर कपूर ने फिल्म ‘मासूम 2’ पर कहा |

Ankit
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बर्लिन, 11 दिसंबर (भाषा) हिंदी फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने कहा कि वह उसी रचनात्मक सीधे-सादेपन को फिर से तलाशने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके जरिए उन्होंने फिल्म ‘मासूम’ बनाई थी।


कपूर फिल्म मासूम के बहुप्रतीक्षित सीक्वल की तैयारी कर रहे हैं।

फिल्म ‘मासूम’ 1983 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और इसमें शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह ने मुख्य भूमिका निभाई थी। मासूम के सिक्वल में भी दोनों सितारे नजर आ सकते हैं जिसकी शूटिंग इस साल शुरू होगी

जर्मनी में भारतीय फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह के दौरान शेखर कपूर ने कहा कि जिस समय उन्होंने ‘मासूम’ बनाई थी तब उन्हें फिल्म बनाने का जरा भी अनुभव नहीं था और इसी ने फिल्म में अद्भुत गुणवत्ता का समावेश किया।

जर्मनी में भारतीय फिल्म महोत्सव में फिल्म ‘मासूम’ दिखाई जाएगी।

कपूर ने कहा, ‘‘यह मेरी बचपन में वापस जाने की कोशिश के जैसा है। और मैं फिर से वही सीधा-सादापन कैसे पा सकता हूं? …पिकासो ने भी यही कहा था। उन्होंने उनसे पूछा कि आप सच में क्या चाहते हैं? उन्होंने कहा कि मैं ऐसी पेंटिंग बनाना चाहता हूं जैसी मैंने पहले कभी नहीं बनाई और वह ‘मासूम’ थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ फिल्म मासूम एक ऐसे व्यक्ति द्वारा बनाई गई थी जिसे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। मैंने कहा था, ठीक है, मैं कोशिश करता हूं। और मैने सिर्फ कहानी पर ध्यान दिया, क्योंकि मुझे नहीं पता था कि कैमरा क्या होता है और यह कैसे काम करता है और बाकी सब। इसीलिये शायद यह (फिल्म का निर्माण) हो गया।’’

जब भी कोई कपूर को बताता है कि उन्होंने यह फिल्म देखी है तो वह भावुक हो जाते हैं, लेकिन साथ ही वह यह समझने की भी कोशिश करते हैं कि लोग इस फिल्म से इतने क्यों प्रभावित हो जाते हैं।

फिल्म निर्माता ने कहा, ‘‘मैं अभी भी समझ नहीं पाता, क्योंकि उस समय मैं प्रशिक्षित फिल्म निर्माता नहीं था। मैंने कभी कोई फिल्म नहीं बनाई थी। मैं कभी किसी का सहायक नहीं रहा था। मैंने फिल्म निर्माण का अध्ययन नहीं किया था। मुझे फिल्म के बारे में कुछ भी नहीं पता था और फिर एक दिन मैंने एक फिल्म बनाई। जबकि उस दौरान मैं लंदन में सनदी लेखाकार था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सच में, मैंने कुछ समय तक बर्लिन में एक लेखाकार के रूप में काम किया, फिर मैं वापस आया और एक फिल्म बनाई। इस फिल्म में एक भोलापन था। जब आप नौसिखया होते हैं और कुछ करते हैं तो उसमें एक तरह की मासूमियत होती है। जब आप चीजें अलग तरह से करते हैं। इसलिए जब लोग पूछते हैं कि क्या आप ‘मासूम’ फिर से बना सकते हैं? मैं कहता हूं कि क्या आप मुझे फिर पहले जैसा सीधा-सादा बना सकते हैं?’’

अमेरिकी लेखक एरिक सेगल की पुस्तक ‘‘मैन, वूमन एंड चाइल्ड’’ पर आधारित फिल्म ‘‘मासूम’’ प्रेम, विश्वासघात और परिवार की जटिलताओं की कहानी है।

जर्मनी में शुक्रवार को भारतीय फिल्म महोत्सव का आगाज हुआ और बर्लिन स्थित भारतीय दूतावास और टैगोर सेंटर ने इसका आयोजन किया है।

भाषा प्रीति पवनेश

पवनेश



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