बेंगलुरु, 14 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के कांग्रेस विधायकों के साथ मंगलवार को चर्चा करेंगे और सामाजिक-आर्थिक एवं शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट पर उनकी राय लेंगे।
इस रिपोर्ट को ‘जाति जनगणना’ के नाम से जाना जाता है। यह रिपोर्ट हाल में राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गई थी।
कर्नाटक के दो प्रमुख समुदायों – वोक्कालिगा और लिंगायत – के संतों या शीर्ष निकायों ने इस सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई है और इसे ‘‘अवैज्ञानिक’’ बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कई घरों को इस सर्वेक्षण से बाहर रखा गया है। उन्होंने मांग की है कि इसे खारिज किया जाए और एक नया सर्वेक्षण कराया जाए।
उपमुख्यमंत्री के कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस पार्टी के वोक्कालिगा विधायकों के साथ मंगलवार को शाम छह बजे बुलाई गई है जो बेंगलुरु में कुमार पार्क गांधी भवन रोड पर स्थित उपमुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में होगी।
शिवकुमार ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने अभी तक इसका (जाति जनगणना रिपोर्ट का) पूरी तरह से अध्ययन नहीं किया है। मैं इसे पढ़ रहा हूं। मैंने कल हमारे कुछ विधायकों को बुलाया है और हम इस पर चर्चा करेंगे। हम यह सुनिश्चित करते हुए सुझाव देंगे कि सभी की गरिमा की रक्षा हो और किसी को ठेस न पहुंचे। मैं इसका पूरी तरह से अध्ययन नहीं कर पाया हूं।’’
शिवकुमार ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं राय लूंगा और फिर बात करूंगा।’’
कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट 11 अप्रैल को मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई थी और 17 अप्रैल को मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि सर्वेक्षण के निष्कर्ष विभिन्न जातियों, विशेषकर लिंगायत और वोक्कालिगा की संख्यात्मक ताकत के संबंध में ‘‘पारंपरिक धारणा’’ के विपरीत हैं और इसके कारण यह राजनीतिक रूप से पेचीदा मुद्दा बन गया है। उन्होंने बताया कि इन दोनों समुदायों के मंत्री मंत्रिमंडल की अगली बैठक के दौरान अपनी आपत्तियां रखने की तैयारी कर रहे हैं।
भाषा सिम्मी रंजन
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