नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सोमवार को कहा कि मनमाने ढंग से शुल्क (फीस) बढ़ाने वाले निजी विद्यालयों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।
सूद ने पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर अपने कार्यकाल के दौरान कुछ विद्यालयों द्वारा फीस बढ़ाने के मामले पर आंखें मूंदकर बैठे रहने का आरोप लगाया।
मंत्री ने कहा कि ऐसे विद्यालयों की सूची तैयार की गई है और प्रत्येक का निरीक्षण किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि निष्कर्षों के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। सूद ने संवाददाताओं से कहा, “दिल्ली के 1,677 निजी विद्यालयों में से 335 सरकारी जमीन पर संचालित हैं और वे दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम 1973 के तहत आते हैं। इसलिए फीस बढ़ाने के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता है, केवल 114 स्कूल इस शर्त से मुक्त हैं।”
मंत्री ने ‘मॉडर्न स्कूल’ मामले में 2004 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए दोहराया कि निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय (डीओई) की मंजूरी के बिना फीस नहीं बढ़ा सकते।
एक बयान के अनुसार, सूद ने द्वारका के एक निजी स्कूल के आंकड़ों का हवाला दिया, जिसने 2020 से 2025 तक लगातार अपनी फीस में सात से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।
उन्होंने कुछ निजी विद्यालयों के नाम भी बताए, जिन्होंने शिक्षा निदेशालय की मंजूरी के बिना फीस में 30 से 38 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है।
‘आप’ ने हाल ही में कथित फीस बढ़ोतरी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित दिल्ली सरकार पर हमला बोला था।
नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा की शह पर कई विद्यालयों ने बिना उचित निगरानी के अपनी ‘ट्यूशन फीस’ में काफी वृद्धि की है।
इसी तरह, पिछले सप्ताह ‘आप’ के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने भी आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को ‘शिक्षा माफिया’ के हवाले कर दिया है और कहा था कि कई निजी विद्यालयों ने फीस में 20 से 82 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है।
सूद ने पूर्व उपमुख्यमंत्री को भाजपा कार्यकाल के दौरान फीस वृद्धि का सबूत पेश करने की चुनौती दी।
उन्होंने कहा, “अगर कोई सबूत पेश किया जाता है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।’’
मंत्री ने हालांकि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए कुछ विद्यालयों द्वारा फीस बढ़ाने पर चिंता जताई।
सूद ने दावा किया कि इन मामलों में करोड़ों रुपये की विसंगतियां शामिल थीं लेकिन कोई जांच नहीं की गयी।
उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में शिक्षा विभाग को निजी विद्यालयों से कोई ‘ऑडिट’ रिपोर्ट नहीं मिली, जबकि नियमित ‘ऑडिट’ की कानूनी आवश्यकता है।
मंत्री ने दावा किया कि पिछले 10 वर्ष के दौरान दिल्ली के 1,677 निजी विद्यालयों में से केवल 75 का ही वार्षिक ‘ऑडिट’ किया गया।
सूद ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के निर्देश पर कापसहेड़ा के जिलाधिकारी के नेतृत्व में द्वारका के एक निजी स्कूल के खिलाफ जांच शुरू करने की घोषणा की।
उन्होंने कहा, “स्कूल की साल-दर-साल फीस बढ़ोतरी की जांच की जा रही है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अगले 10 दिनों के भीतर सभी निजी विद्यालयों में फीस बढ़ोतरी का डेटा शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया जाएगा।”
सूद ने कहा कि अन्य विद्यालयों ने भी कथित तौर पर अपनी फीस बढ़ा दी है।
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे सभी मामलों की ‘ऑडिट’ कर रही है और संबंधित उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सहित एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री ने कहा कि सभी 1,677 निजी विद्यालयों से ‘ऑडिट’ रिपोर्ट एकत्र करने के लिए समिति का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि पूर्ण व निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए समिति में तहसीलदार और लेखा अधिकारी शामिल हैं।
सूद ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर दिल्ली सरकार ने फीस वृद्धि के मामलों में सुनवाई में तेजी लाने के लिए अदालतों से अपील की है। इसके अलावा, शिक्षा विभाग ने शिक्षा उपनिदेशक की निगरानी में एक ईमेल सेवा शुरू की है, जहां माता-पिता या अभिभावक अनुचित फीस वृद्धि से संबंधित शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि माता-पिता या अभिभावक शिक्षा निदेशालय के कार्यालयों में व्यक्तिगत रूप से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
सूद ने कहा कि जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले विद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भाषा जितेंद्र संतोष
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