(तस्वीर के साथ)
(बरुण झा)
दावोस, 21 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भारतीय खाद्य उत्पादों को वैश्विक स्तर पर ले जाने की वकालत करते हुए कहा कि भारतीय प्रसंस्कृत खाद्य क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के लिए यहां पहुंचे पासवान ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उन्हें आवंटित खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय एक बड़ी जिम्मेदारी लेकर आया है।
पासवान ने सोमवार शाम दावोस पहुंचने के बाद कहा, ‘‘ हमारा मकसद किसानों की अधिक मदद करना और साथ ही देश के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को और मजबूत बनाना है।’’
उन्होंने कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हमारे किसानों की आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए पासवान ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारे किसानों को पहले फसल कटाई के बाद कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन पिछले 10 वर्षों में हमने इसके लिए कई नए कार्यक्रम देखे हैं। इनसे न केवल किसानों को फसल कटाई के बाद मदद मिली है, बल्कि इन्होंने क्षेत्र में बड़ी संख्या में उद्यमियों को तैयार करने में भी योगदान दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं ग्रामीण क्षेत्र की बात कर रहा हूं, सिर्फ बड़े या मझोले श्रेणी के शहरों की नहीं। मेरा मानना है कि हमारे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास की अपार संभावनाएं हैं।’’
विश्व आर्थिक मंच की पांच दिवसीय वार्षिक बैठक 24 जनवरी को संपन्न होगी। इस दौरान पासवान यहां कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
उन्होंने साथ ही कहा कि भारतीय व्यंजनों को विश्व स्तर पर किस तरह पसंद किया जाता है, यह सभी जानते हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘ सदियों से भारतीय मसाले हर जगह प्रसिद्ध हैं। हमारे देश में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक इसकी कई किस्में हैं। ये सभी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी लोकप्रिय हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसके साथ ही, वैश्विक स्तर पर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है। यदि हम पिछले एक दशक के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का निर्यात 13-14 प्रतिशत से बढ़कर 23-24 प्रतिशत हो गया है।’’
पासवान ने कहा, ‘‘ इससे पता चलता है कि वैश्विक बाजार में इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। मैं इसी दिशा में काम कर रहा हूं, ताकि भारतीय ब्रांडों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले।’’
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा