विस्तारित ब्रिक्स से ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को बढ़ावा मिलेगा: रूसी राजदूत |

Ankit
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नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिक्स में नए सदस्यों के शामिल होने की उम्मीद है और यह विस्तार ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में इस संगठन को मजबूत करेगा।


अलीपोव ने यह बात रूस के कज़ान में अगले सप्ताह होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले ‘ब्रिक्स 2.0 : नए सदस्य, नए क्षितिज’ विषयक ऑनलाइन सम्मेलन के दौरान कही।

रूस वर्तमान में ब्रिक्स का अध्यक्ष है, जो एक महत्वपूर्ण संगठन है और दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है।

इसकी शुरुआत चार देशों – ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ आने पर ‘ब्रिक’ के रूप में हुई थी, जिसमें 2010 में दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हुआ। इसके बाद इसे ‘ब्रिक्स’ नाम दिया गया। पिछले साल इस संगठन का और विस्तार हुआ।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार रूस में 22-24 अक्टूबर को होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले अलीपोव ने कहा कि नए सदस्यों के ब्रिक्स संगठन में शामिल होने की उम्मीद है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह विस्तार ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को आगे बढ़ाने और समान वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में संगठन को मजबूती प्रदान करेगा।

बयान के अनुसार अलीपोव ने कहा कि ब्रिक्स विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक समृद्ध एजेंडा को आगे बढ़ाने तथा वैश्विक शासन के लोकतंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावशाली मंच बन गया है, जो हमारे बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है ।

इस कार्यक्रम का आयोजन वैश्विक मामलों पर केंद्रित एक थिंक-टैंक द्वारा किया गया था और इसमें ब्रिक्स के विस्तार के प्रभावों और बहुध्रुवीय विश्व को आकार देने में इसकी उभरती भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।

राजदूत ने कहा, ‘‘ब्रिक्स सभ्यतागत विविधता का सम्मान करता है । यह दबाव, दोहरे मानकों या घरेलू मामलों में हस्तक्षेप से मुक्त पारस्परिक रूप से लाभकारी संवाद के लिए मंच प्रदान करता है।’’

कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उसके नियोजित विस्तार का जिक्र करते हुए, अलीपोव ने कहा, ‘‘इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि बड़ी संख्या में देशों ने इसमें शामिल होने में रुचि दिखायी है, और हम इसे एक या दूसरे तरीके से ब्रिक्स का विस्तार करना स्वाभाविक मानते हैं।’’

भाषा रंजन रंजन राजकुमार

राजकुमार



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