नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) विशेषज्ञों और हितधारकों ने शनिवार को कौशल विकास के लिए पांच उत्कृष्टता केंद्र और शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लिए एक और केंद्र स्थापित करने की सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे न केवल नवाचार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भविष्य की जरूरत को लेकर कार्यबल भी तैयार हो सकेगा।
केंद्र सरकार ने 2025-26 बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए कई बड़ी घोषणनाएं की हैं जिनमें पांच नए आईआईटी में बुनियादी ढांचे का विस्तार, 10,000 नई मेडिकल सीटें और एआई को बढ़ावा देना शामिल है।
ब्रिटिश काउंसिल की भारत में देश निदेशक एलिसन बैरेट एमबीई ने कहा, “6,500 से अधिक छात्रों को समायोजित करने के लिए आईआईटी के बुनियादी ढांचे का विस्तार और शिक्षा में एआई के लिए उत्कृष्टता केंद्र के वास्ते 500 करोड़ का आवंटन भारत की तकनीकी और डिजिटल क्षमताओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक और कदम है।”
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षित करने और छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ सकें, इसके लिए हम भारतीय भाषा पुस्तिका योजना की सराहना करते हैं जो भारतीय भाषा की पुस्तकों तक डिजिटल पहुंच प्रदान करेगी।’
‘सनस्टोन’ के सह-संस्थापक और सीईओ आशीष मुंजाल ने कहा कि कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना को एक परिवर्तनकारी कदम बताया।
ओडिशा के सेंचुरियन विश्वविद्यालय की कुलपति सुप्रिया पटनायक ने कहा कि यह उत्साहजनक संकेत है कि सरकार ने लगातार दूसरे वर्ष भी कौशल विकास की आवश्यकता पर पर्याप्त ध्यान देना जारी रखा है।
पटनायक ने कहा, “हम सरकार से यह भी अनुरोध करते हैं कि वह ऐसी नीतियों पर विचार करे जो मौजूदा सार्वजनिक और निजी संस्थानों में, विशेष रूप से मेट्रो शहरों से बाहर के क्षेत्रों में, कौशल-एकीकृत उच्च शिक्षा को बढ़ावा दें।’
सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने कहा कि आईआईटी और आईआईएससी में तकनीकी अनुसंधान के लिए फेलोशिप से नवाचारों का मार्ग प्रशस्त होगा और अनुसंधान की संस्कृति का निर्माण होगा।
जीडी गोयनका समूह के प्रबंध निदेशक निपुण गोयनका ने कहा, “ सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को जोड़ना नवाचार तक पहुंच को सामान्य करने की दिशा में एक कदम है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हर बच्चे को राष्ट्र के विकास में योगदान देने का अवसर मिले, भले ही उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।”
‘जैन ऑनलाइन’ के प्रवक्ता और जैन (डीम्ड विश्वविद्यालय) के कुलपति डॉ. राज सिंह ने कहा कि भारतीय भाषाओं, कौशल विकास और नए कौशल विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने से विविध और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप कार्यबल भी तैयार हो सकेगा और भारतीय शिक्षा का मूल्य भी बढ़ेगा।
भाषा
नोमान रंजन
रंजन