नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा प्रीमियम पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हटाने संबंधी संशोधन पर गौर नहीं किये जाने के कारण लोकसभा से विपक्ष के बर्हिगमन की आलोचना की।
सीतारमण ने कहा कि उन्होंने अपने भाषण में सभी सवालों का विस्तृत जवाब दिया लेकिन विपक्ष ने ‘अपनी इज्जत बचाने’ के लिए सदन से बर्हिगमन किया।
वित्त मंत्री ने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जीएसटी परिषद एक संवैधानिक निकाय है और इस कर से संबंधित किसी भी मामले पर गौर कर सकती है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल जो मांग कर रहे हैं, उस तरह का संशोधन संसद में पेश नहीं किया जा सकता है।
आरएसपी सदस्य एन के प्रेमचंद्रन ने वित्त विधेयक के पारित होने के दौरान यह संशोधन पेश किया था, जिसमें मेडिकल और जीवन बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी हटाने की मांग की गई थी।
प्रेमचंद्रन ने बर्हिगमन के तुरंत बाद संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सदन की सामान्य प्रक्रिया यह है कि संशोधन को तभी प्रसारित किया जाता है जब उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि प्रेमचंद्रन को सही जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि केरल के सांसद का हर कोई सम्मान करता है, लेकिन उनका कदम उचित नहीं था।
सीतारमण ने कहा कि सरकार का संशोधन बजट की प्रस्तुति के बाद मिली जानकारी पर आधारित था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन आवाजों को सुना और वह मध्यम वर्ग को राहत देना चाहते थे।
निचले सदन ने 45 आधिकारिक संशोधनों के साथ विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
भाषा सुरेश अविनाश
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