विपक्ष चाहता था पिछली कुंभ त्रासदियों की तरह इस बार भी सैकड़ों मौतें होतीं : योगी आदित्यनाथ |

Ankit
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लखनऊ, एक अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि विपक्ष “चाहता था कि पिछली कुंभ त्रासदियों की तरह इस बार भी सैकड़ों मौतें होतीं”, लेकिन उनकी सरकार की ओर से की गई शानदार व्यवस्था और जनता के सहयोग से यह सुनिश्चित हुआ कि जनवरी में हुई भगदड़ की घटना के दौरान प्रत्येक पीड़ित को तत्काल चिकित्सा सुविधा मिली।


‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में योगी ने अस्पताल में पीड़ितों से हुई मुलाकात को याद किया। उन्होंने बताया कि पीड़ितों ने उनसे कहा, “सरकार दोषी नहीं है। हम पवित्र स्नान के लिए हड़बड़ी में घाटों की तरफ भाग रहे थे… पुलिस ने हमें रोकने की कोशिश की, लेकिन हम तड़के चार बजे तक घाटों पर स्नान करने के लिए आतुर थे।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि श्रद्धालुओं ने उनसे कहा कि वे “अफरा-तफरी में घिर गए, लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई मत कीजिए।”

योगी ने विपक्षी दलों के इस आरोप को खारिज कर दिया कि सरकार ने भगदड़ की घटना में मरने वाले लोगों की वास्तविक संख्या छिपाई है। उन्होंने 2025 के महाकुंभ मेले में किए गए सुरक्षा उपायों की तुलना पिछली सरकारों में हुए “कुप्रबंधन” से की।

योगी ने कहा, “2013 में (समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान) कोई पक्का घाट या गलियारा नहीं बनाया गया था। इस बार हमने स्वच्छता, सुरक्षा और डिजिटल निगरानी सुनिश्चित की।”

उन्होंने कहा, “वे (विपक्षी दल) चाहते थे कि पिछली कुंभ त्रासदियों की तरह ही इस बार भी सैकड़ों लोगों की जान जाए। 1954 याद है, जब 1,000 लोग मारे गए थे? या 1974 की भगदड़? लेकिन इस बार, हमारी शानदार व्यवस्था और लोगों के सहयोग ने सभी को सुरक्षित रूप से अस्पताल पहुंचाने में मदद की।”

प्रयागराज में 29 जनवरी को मौनी अमावस्था के अवसर पर महाकुंभ मेले में मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य घायल हो गए थे।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 45 दिन तक चले महाकुंभ मेले में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। अकेले मौनी अमावस्या के दिन ही 15 करोड़ श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए मेला स्थल पहुंचे।

योगी ने महाकुंभ मेले के सफल आयोजन का श्रेय प्रौद्योगिकी आधारित भीड़ प्रबंधन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित निगरानी और सार्वजनिक सहयोग को दिया।

उन्होंने कहा, “हर अच्छे कार्य को सकुशल संपन्न कराना एक चुनौती की तरह होता है, लेकिन अगर हम इस चुनौती को चुनौती न मानकर इसका हिस्सा बन जाएं, तो यह खुद आगे बढ़ने में हमारी मदद करती है। हमने चुनौतियों को समाधान में बदल दिया।’’

भाषा पारुल नरेश

नरेश



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