विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव जायसवाल |

Ankit
3 Min Read


सिंगापुर, 13 सितंबर (भाषा) हिंदी ने हमेशा जोड़ने को ही अपना उद्देश्य माना है तथा हिंदी सीखे बगैर भारत की धड़कन को पूर्णतया समझना संभव नहीं है। यह बात विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही।


सिंगापुर में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (आरबीबी, आई एंड टी) रवीन्द्र प्रसाद जायसवाल ने हिंदी को महान भाषा करार दिया जिसका उद्देश्य हमेशा जोड़ना रहा है।

नेशलन यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस), डी.ए.वी. स्कूल सिंगापुर और संगम सिंगापुर ने भारतीय उच्चायोग के साथ मिलकर इस अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया है जो 13 सितंबर से शुरू होकर 15 सितंबर तक जारी रहेगा।

जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज विदेशी नागरिक भी भारतीय समाज और संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव करने के साथ योग, शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य सीखना चाहते हैं, लेकिन हिंदी सीखे बगैर भारत की धड़कन को पूर्णतया समझना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में मैंडरिन और अंग्रेजी के बाद हिंदी का स्थान आता है क्योंकि विश्व में 60 से 70 करोड़ लोग हिंदी बोलते एवं समझते हैं।

जायसवाल ने कहा कि अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश आदि भाषाओं का प्रसार साम्राज्यवादी नींव पर हुआ, लेकिन विश्वभाषा हिंदी का आधार इसके प्रति सांस्कृतिक अनुराग और आत्मीयता है।

जायसवाल ने बताया कि हिंदी ने हमेशा जोड़ने को ही अपना मुख्य उद्देश्य माना और तोड़ने वाली शक्तियों की चुनौती स्वीकार की।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय भाषा होने की हिंदी की क्षमता को उजागर करने के लिए हिंदी के शिक्षण के तरीकों में शायद बदलाव या नयी प्रणालियों के समावेश की आवश्यकता है।

जायसवाल ने कहा, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि हिंदी भाषा शिक्षण से जुड़े विदेशी और भारतीय विद्वान यदि सम्मिलित रूप से हिंदी शिक्षण सामग्री और पाठ्यक्रम का निर्माण करें तो विदेशी छात्रों को दूसरी भाषा के रूप में हिंदी सीखने में आसानी होगी।’’

उन्होंने कहा कि सिंगापुर में हिंदी शिक्षण का इतिहास भले ही बहुत पुराना न रहा हो, परंतु वर्तमान समृद्ध है और सरकारी मान्यता मिलने और अनुदान मिलने के कारण यहां हिंदी का भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है।

भाषा

पवनेश संतोष माधव अविनाश

अविनाश



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *