नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) स्कोडा ऑटो इंडिया फॉक्सवैगन के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पीयूष अरोड़ा ने कहा है कि भारत में विभिन्न वाहन प्रौद्योगिकियों के लिए कर संरचना पर दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से उद्योग को उत्पाद विकास में मदद मिलेगी, जिसमें बहुत समय और निवेश लगता है।
स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसएवीडब्ल्यूआईपीएल) फॉक्सवैगन समूह के पांच ब्रांड – स्कोडा, फॉक्सवैगन, ऑडी, पोर्शे और लेम्बोर्गिनी के भारत परिचालन की देखरेख करती है।
पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में अरोड़ा ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए मांग सृजन और कर ढांचे, दोनों दृष्टिकोणों से कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा, “हमारे दृष्टिकोण से, विभिन्न प्रौद्योगिकियों के लिए कर संरचना किस प्रकार होगी, इस पर दीर्घकालिक दृष्टिकोण उद्योग के लिए सहायक होगा क्योंकि उत्पाद विकास चक्र बहुत लंबे होते हैं और इसमें उच्च मात्रा में निवेश भी होता है। इसलिए, यदि हमारे पास शुल्कों के संदर्भ में दीर्घकालिक दृष्टिकोण है तो इससे मदद मिलेगी।”
वह आगामी केंद्रीय बजट में उद्योग की वरीयता सूची के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।
भारतीय बाजार को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बताते हुए अरोड़ा ने कहा कि वाहन निर्माता वृद्धि के अवसरों का दोहन करने पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि समूह बाजार में विभिन्न ग्राहक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थानीय साझेदार के साथ सहयोग सहित सभी उपायों पर विचार करेगा।
अरोड़ा ने कहा, “भारत एक रणनीतिक बाजार है। हम निश्चित रूप से विभिन्न अवसरों पर विचार करते हैं, जैसा कि हम दुनिया में कहीं और करते हैं… एक ऐसा साझेदार होना जो संसाधनों को साझा करता हो या हम इसे इस तरह से करते हैं कि हम अधिक उत्पाद लाने में सक्षम हों।”
पिछले वर्ष, स्कोडा ऑटो के प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन क्लॉस जेलमर ने कहा था कि समूह देश में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए किसी भारतीय साझेदार के साथ सहयोग करना चाहता है।
विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में कंपनी का संबंध महिंद्रा और जेएसडब्ल्यू जैसे भारतीय समूहों से जोड़ा गया है, लेकिन इनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
अरोड़ा ने कहा, “देश में हमारी मौजूदगी ढाई दशक से अधिक समय से है और हमने यहां एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है। हमने ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले अभिनव उत्पाद लाने के लिए काफी निवेश किया है। और अगर ऐसे अवसर हैं जो इसे जीत की स्थिति बनाते हैं.. तो मुझे यकीन है कि सभी साझेदारियां उसी आधार पर सफल होंगी।”
उन्होंने कहा कि समूह इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र में भी भाग लेना चाहेगा और इस क्षेत्र में प्रवेश दशक के अंत तक 15-25 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।
अरोड़ा ने कहा कि काइलैक के साथ स्कोडा अपनी ग्राहक पहुंच बढ़ाने में सक्षम होगी और इस प्रकार अपनी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ा सकेगी।
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