वक्फ के साथ कोई नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी : पाल |

Ankit
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लखनऊ, 27 अगस्त (भाषा) वक्फ अधिनियम (संशोधन) विधेयक पर सुझाव के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने मंगलवार को यहां ‘इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया’ के प्रतिनिधियों, मुस्लिम धर्मगुरुओं और प्रबुद्धजन से मुलाकात की एवं कहा कि वह मुसलमानों को यकीन दिलाते हैं कि वक्फ के साथ कोई भी नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी।


‘इस्लामिक सेंटर ऑफ़ इंडिया’ के अध्यक्ष और ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने उलमा, अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों के साथ एक बैठक की एवं वक्फ अधिनियम (संशोधन) विधेयक पर उनसे सुझाव मांगे।

उन्होंने बताया कि इस दौरान विभिन्न संस्थाओं की तरफ से पाल को 20 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया। इसमें ‘वक्फ बिलइस्तिमाल’ को खत्म किए जाने, जिलाधिकारी को जरूर से ज्यादा अधिकार दिए जाने, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किए जाने और चुनाव के बजाय नामांकन के जरिए सदस्यों के चयन जैसे बिंदुओं पर विरोध जताया गया। यह भी कहा गया कि ये बिंदु संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का खुला उल्लंघन हैं।

फरंगी महली के मुताबिक जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने इस मौके पर कहा कि उनकी ‘आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के प्रतिनिधिमंडल के साथ भी बातचीत हुई है तथा वह पूरे मुस्लिम समाज को यकीन दिलाना चाहते हैं कि वक्फ के साथ कोई भी नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी।

महली के अनुसार पाल ने कहा है कि वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, उनके निर्माण और तरक्की, अनाथ मुस्लिम बच्चों, विधवा मुस्लिम महिलाओं और बेरोजगारों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाने की कोशिश की जाएगी।

पाल ने कहा कि आज की इस बैठक में जो सुझाव और प्रस्ताव दिए गए हैं उन पर संयुक्त संसदीय समिति गौर करेगी।

वक्फ अधिनियम (संशोधन) विधेयक को केंद्र सरकार ने पिछली आठ अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा था। इससे पहले, लोकसभा में इसे केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने पेश किया था। चर्चा के दौरान उन्होंने विधेयक के जेपीसी के पास भेजने का भी प्रस्ताव रखा था।

भाषा सलीम

राजकुमार

राजकुमार



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