नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पंजाब और हरियाणा में विधिज्ञ परिषद “बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार” के अलावा “शर्मनाक कृत्यों” और “गलत आचरण” में लिप्त हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह बार निकायों के मामलों की जांच करने तथा विशेष रूप से हरियाणा में बार निकायों के बैंक खातों की जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल गठित करेगी।
पीठ ने कहा, “इन राज्य विधिज्ञ परिषदों के वकीलों के कार्यालय और चैंबर प्रॉपर्टी डीलरों और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गए हैं। वे सभी तरह के शर्मनाक कामों और कुप्रथाओं में लिप्त हैं। यह हमारे संज्ञान में आया है और हम उन्हें हल्के में नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने पेशे को बदनाम किया है।”
पीठ एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने करनाल बार एसोसिएशन का चुनाव लड़ने से अपनी अयोग्यता को चुनौती दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने बार निकायों को नोटिस जारी किया और वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस. चीमा, जो करनाल बार एसोसिएशन के सदस्य हैं, से सहायता मांगी और उनसे कुछ अन्य वरिष्ठ, प्रतिष्ठित वकीलों के नाम सुझाने को कहा, जो अस्थायी रूप से बार निकाय का पद संभाल सकें।
वकील की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेन्द्र हुड्डा ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी ने मतदान केन्द्र के बाहर बैठकर बिना कोई वोट डाले ही उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया।
अधिवक्ता संदीप चौधरी, जिन्हें जिला बार निकाय का चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया था, ने कहा कि यह एक अधिवक्ता के रूप में उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
चौधरी ने बार भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) में अपील दायर की, जिसने उनकी अयोग्यता के आदेश पर रोक लगा दी।
हालांकि, बीसीआई के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसने 27 फरवरी को चौधरी को दी गई राहत को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ये विधिज्ञ परिषद, विशेषकर हरियाणा राज्य विधिज्ञ परिषद, एक “शर्मनाक संगठन” बन गई हैं।
इस मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
भाषा प्रशांत नेत्रपाल
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