माई सोत (थाईलैंड), नौ मार्च (एपी) थाईलैंड में आकर्षक नौकरियों का लालच देकर तस्करी करके म्यांमा लाए जाने के बाद दुनियाभर में साइबर धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम देने के लिए मजबूर किए गए उन हजारों लोगों ने उस समय राहत की सांस ली, जब उन्हें बंद परिसरों से छुड़ाया गया, लेकिन अब उन्हें ऐसे अत्यंत भीड़ वाले अस्वच्छ केंद्रों में रखा गया है, जहां न तो उनके पास चिकित्सा सुविधाएं हैं और न ही पर्याप्त भोजन।
दुनिया भर के देशों से आए ये हजारों बीमार, थके हुए और भयभीत युवा अब अपने देश लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
थाईलैंड, चीन और म्यांमा प्राधिकारियों ने पिछले महीने एक बहुप्रचारित अभियान के तहत, म्यांमा में बंद परिसरों से 7,000 से अधिक लोगों को रिहा कराया। इन लोगों को इन परिसरों में बंद कर अमेरिका समेत दुनिया भर के देशों में साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया गया था।
जब इन युवाओं को रिहा कराया गया, तो उन्हें लगा कि उनका दु:स्वप्न समाप्त हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं था। ये लोग अब ऐसे भीड़भाड़ वाले केंद्रों में रहने के लिए मजबूर हैं, जहां न तो चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था है और न ही पर्याप्त भोजन है और उन्हें यह भी नहीं पता कि उन्हें उनके घर कब भेजा जाएगा।
भारत से आए एक युवक ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि उसके साथ एक ही शिविर में करीब 800 लोगों को रखा गया है और उनके इस्तेमाल के लिए मात्र 10 शौचालय है, जो अत्यधिक गंदे हैं। उसने बताया कि वहां मौजूद कई लोग बुखार और खांसी से पीड़ित हैं।
उसने कहा, ‘‘अगर हम यहां स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मर गए, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?’’
इन लोगों को हिरासत में रखने वाले सशस्त्र समूहों और सीमा पार थाईलैंड के अधिकारियों का कहना है कि वे इन लोगों की स्वदेश वापसी के लिए उनके देशों की सरकारों की ओर से कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि साइबर घोटाला उद्योग पर नकेल कसने का पहला बड़ा प्रयास एक बढ़ते मानवीय संकट में बदल गया है।
‘यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस’ के एक अनुमान के अनुसार, रिहा किए गए ये लोग क्षेत्र भर में इसी प्रकार के घोटाले में शामिल 3,00,000 लोगों का एक छोटा सा हिस्सा हैं।
मानवाधिकार समूहों और विश्लेषकों का कहना है कि अवैध घोटाले करने वाले ये नेटवर्क तब तक काम करते रहेंगे, जब तक उनके खिलाफ व्यापक कार्रवाई नहीं की जाती।
इन फंसे हुए लोगों में से कुछ उच्च शिक्षा प्राप्त हैं और धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं। उन्हें आकर्षक नौकरियां देने का वादा करके शुरू में थाईलैंड लाया गया और बाद में म्यांमा ले जाया गया, जहां उन्हें इमारतों में बंद कर दिया गया। उन्हें दिन में 16-16 घंटे तक कंप्यूटर पर बैठकर घोटाले करने के लिए मजबूर किया गया। यदि वे ऐसा काम करने से इनकार करते थे, तो उन्हें पीटा जाता था, भूखे रखा जाता था और बिजली के झटके दिए जाते थे।
इन लोगों में शामिल एक पाकिस्तानी व्यक्ति ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘‘आपका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाता है, आप बाहर नहीं जा सकते और सब कुछ नरक जैसा होता है।’’
महामारी के दौरान परिसरों से अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले ये साइबर घोटालेबाज दुनिया भर के लोगों को निशाना बनाकर खूब फले-फूले। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय का अनुमान है कि 2023 में अकेले एशिया में 18 से 37 अरब अमेरिकी डॉलर के बीच नुकसान हुआ, जबकि इस आपराधिक उद्योग के प्रसार के खिलाफ सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बीजिंग ने इस साल क्षेत्र की सरकारों पर इन घोटालों के खिलाफ कार्रवाई का दबाव डालना शुरू किया। दरसअल एक युवा चीनी अभिनेता को थाईलैंड में अभिनय का मौका दिलाने का वादा करने के बाद तस्करी करके म्यांमा ले जाया गया था। उसकी प्रेमिका ने उसे छुड़ाने के लिए सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाया, जो वायरल हो गया, जिसके बाद उसे रिहा कराया गया।
इसके बाद एक वरिष्ठ चीनी सरकारी अधिकारी ने थाईलैंड और म्यांमा की यात्रा की और इन घोटालों को समाप्त करने की मांग की। इसके जवाब में थाईलैंड ने म्यांमा के पांच सीमावर्ती शहरों में बिजली, इंटरनेट और गैस की आपूर्ति काट दी। कुछ ही समय बाद म्यांमा के इस हिस्से में सक्रिय जातीय मिलिशिया समूहों – ‘कायिन बॉर्डर गार्ड फोर्स’ और ‘डेमोक्रेटिक कायिन बुद्धिस्ट आर्मी’ ने फंसे हुए कुछ लोगों से पूछा कि क्या वे जाना चाहते हैं और फिर उन्हें उनके परिसरों से बाहर निकाल दिया।
अब इन लोगों को ऐसे शिविरों में रखा गया है, जहां अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं।
अस्थायी हिरासत केंद्र में रह रहे एक अन्य भारतीय (24) ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि हर व्यक्ति घर वापस लौटने का इंतजार कर रहा है। उसने केंद्र में छुपाकर रखे गए एक फोन के जरिए बात की।
म्यांमा के अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई गई एक अपुष्ट सूची के अनुसार, उनके यहां 29 देशों के नागरिक हिरासत में हैं।
एपी
सिम्मी दिलीप
दिलीप