पटना, 20 जनवरी (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यहां 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन किया।
बिहार में तीसरी बार आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय सम्मेलन का विषय है- ‘‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ: संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान।’’
इस सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों ने ‘‘अधिक दक्षता, प्रभावशीलता और उत्पादकता के लिए विधायी निकायों में आधुनिक तकनीक को अपनाने’’ पर विचार-विमर्श किया।
लोकसभा अध्यक्ष ने उद्घाटन समारोह में अपने भाषण में विधायी निकायों की बैठकों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त की और पीठासीन अधिकारियों से इस मुद्दे को हल करने का प्रयास करने का आग्रह किया।
उनकी यह टिप्पणी उन रिपोर्टों के बीच आई है कि दिल्ली विधानसभा ने अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में केवल 74 बैठकें आयोजित कीं।
बिरला ने संसद और राज्य विधानसभाओं में योजनाबद्ध व्यवधानों को भी चिन्हित किया और राजनीतिक दलों से सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का आग्रह किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत करना और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद और समन्वय को बढ़ावा देना है।
यादव ने कहा कि 43 वर्षों के अंतराल के बाद यह तीसरा मौका है जब राज्य इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है।
यादव ने कहा, ‘‘ बिहार की धरती भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और बौद्धिक विरासत का केंद्र मानी जाती है। इस धरती ने भगवान बुद्ध की करुणा, महावीर की अहिंसा और गुरु गोविंद सिंह जी के साहस को जन्म दिया है।’’
उन्होंने कहा कि यह वही धरती है जहां से चाणक्य ने सैद्धांतिक राजनीति की शुरुआत की और सम्राट अशोक ने शासन में नैतिकता का संदेश दिया। यादव ने कहा कि यह चंपारण की धरती है जिसने गांधी जी को महात्मा बनाया।
सत्र को संबोधित करते हुए बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि चार दशकों के बाद एआईपीओसी की मेजबानी करना बिहार के लिए गौरव की बात है।
उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष लोकतंत्र को मजबूत करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
सभापति ने कहा कि एआईपीओसी के अध्यक्ष के रूप में बिरला के नेतृत्व ने पीठासीन अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में मार्गदर्शन दिया है।
अवधेश नारायण सिंह ने बिहार के गौरवशाली इतिहास और राष्ट्र निर्माण में राज्य के योगदान के बारे में भी बात की।
सिंह ने उम्मीद जताई कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान होने वाली बहस और चर्चाओं से विधानसभाओं और पीठासीन अधिकारियों को उनके कुशल कामकाज में मदद मिलेगी।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य ने हमेशा देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत आने वाले वर्षों में एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए तैयार है… और इस संदर्भ में बिहार की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विक्रमशिला विश्वविद्यालय में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की भी तैयारी कर रही है।
इस सम्मेलन के समापन सत्र को मंगलवार को बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला संबोधित करेंगे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य प्रतिभागियों में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, राज्य मंत्री श्रवण कुमार आदि शामिल थे।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में आज शामिल नहीं हो पाए। कार्यक्रम के अनुसार उन्हें आज इस सम्मेलन में शामिल होना था।
पटना में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन से पहले 19 जनवरी को भारत में विधायी निकायों के सचिवों का 61वां सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें अधिक दक्षता, प्रभावशीलता और उत्पादकता के लिए विधायी निकायों में आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर चर्चा की गई।
अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का आयोजन पटना में तीसरी बार किया जा रहा है। बिहार ने इससे पहले 1964 और 1982 में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की मेजबानी की थी।
भाषा
अनवर, रवि कांत
रवि कांत