भुवनेश्वर, 27 फरवरी (भाषा) ओडिशा में विपक्षी बीजू जनता दल और कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर तथा भुवनेश्वर में श्री लिंगराज मंदिर में बड़े उत्सवों का उचित प्रबंधन नहीं करने का आरोप लगाया।
भुवनेश्वर में 11वीं सदी के श्री लिंगराज मंदिर के शिखर पर बुधवार रात महादीप ले जाते समय 20 फुट की ऊंचाई से गिरने से मंदिर का एक कर्मचारी और एक पुलिसकर्मी सहित तीन लोग घायल हो गए।
इससे पहले, पिछले साल जुलाई में पुरी जगन्नाथ मंदिर के कम से कम नौ सेवादार उस समय घायल हो गए जब रथयात्रा महोत्सव के तहत एक रथ से मंदिर में ले जाई जा रही भगवान बलभद्र की प्रतिमा उनके ऊपर गिर गई थी।
बीजू जनता दल (बीजद) के प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘महादीप ऊपर ले जाने के दौरान लिंगराज मंदिर में हुई दुर्घटना निंदनीय है। राज्य सरकार एक बार फिर विफल रही है। इससे पहले पुरी में रथ यात्रा के दौरान भी सरकार विफल रही थी। अभी तक इस बात पर कोई रिपोर्ट नहीं आई है कि रथयात्रा के दौरान श्री बलभद्र कैसे गिरे।’’
उन्होंने राज्य प्रशासन पर केवल वीआईपी लोगों की तीमारदारी में व्यस्त रहने और उत्सवों को बिना किसी अप्रिय घटना के आयोजित नहीं कर पाने का आरोप लगाया।
भुवनेश्वर की महापौर और बीजद नेता सुलोचना दास ने कहा कि लिंगराज मंदिर की पत्थर की दीवार पर चढ़ते समय तेल के कारण सेवादार का हाथ फिसल गया था।
उन्होंने कहा कि पहले तेल की वजह से फिसलन से बचने के लिए पत्थर पर रेत छिड़की जाती थी।
नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भक्तचरण दास ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने दो बार जनता की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
उन्होंने राज्य सरकार से दोनों घटनाओं पर श्वेतपत्र जारी करने का आरोप लगाया।
दास ने एक अस्पताल में घायल सेवादार से मुलाकात की और दावा किया कि लोग इस संबंध में सरकार के प्रबंधन से संतुष्ट नहीं हैं।
घायल सेवादार की पहचान जोगेंद्र समर्थ के रूप में हुई और उसे कैपिटल अस्पताल में भर्ती कराया गया। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने बुधवार रात अस्पताल जाकर उसका हालचाल जाना।
विपक्षी दलों के आरोपों पर वरिष्ठ भाजपा विधायक बाबू सिंह ने कहा कि विपक्षी नेताओं को मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भुवनेश्वर की महापौर भी प्रशासन का हिस्सा हैं और शिवरात्रि महोत्सव के दौरान वह पूरे दिन में मंदिर में मौजूद थीं, लेकिन इस बात की पड़ताल नहीं की कि वहां कोई गड़बड़ तो नहीं है।
घायल सेवादार के बेटे अश्विनी समर्थ ने कहा कि मंदिर में चढ़ने वाले पत्थर पर रेत नहीं थी जिसकी वजह से उसके पिता फिसलकर गिर गए।
उसने संवाददाताओं से कहा कि महादीप से गिरते घी से फिसलन हो गई थी।
अश्विनी ने बताया कि उसके पिता पिछले 25 वर्ष से मंदिर के शिखर पर महादीप ले जाते रहे हैं और वह मंदिर पर चढ़ने में पारंगत हैं।
भाषा
वैभव नेत्रपाल
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