नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) फ्रांसीसी वाहन कंपनी रेनो ने सोमवार को कहा कि वह भारतीय विनिर्माण संयुक्त उद्यम आरएनएआईपीएल में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी का एक अघोषित राशि में अधिग्रहण करेगी।
संयुक्त उद्यम फर्म रेनो निसान ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (आरएनएआईपीएल) दोनों कंपनियों के गठजोड़ की चेन्नई स्थित उत्पादन इकाई का संचालन करती है, जहां रेनो और निसान दोनों ब्रांड के लिए वाहन बनाए जाते हैं।
रेनो ने बयान में कहा कि रेनो समूह और निसान के बीच एक वैश्विक मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत रेनो समूह संयुक्त उद्यम में निसान के पास मौजूद 51 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी।
यह सौदा पूरा होने के साथ ही रेनो के पास आरएनएआईपीएल का 100 प्रतिशत स्वामित्व आ जाएगा।
हालांकि, कंपनी ने इस हिस्सेदारी खरीद से जुड़े वित्तीय विवरण का खुलासा नहीं किया है।
रेनो-निसान के चेन्नई स्थित संयंत्र में लगभग 6,300 कर्मचारी कार्यरत हैं और इसकी क्षमता सालाना 4.8 लाख इकाइयों के उत्पादन की है।
इस समझौते में रेनो समूह और निसान के बीच मौजूदा परियोजनाओं को जारी रखने और भारत में दोनों कंपनियों के भावी संबंधों को परिभाषित करने का पहलू शामिल है।
बयान के मुताबिक, निसान अपनी हिस्सेदारी बेचने के बावजूद आने वाले वर्षों में चेन्नई संयंत्र का इस्तेमाल भारत के लिए वाहनों का निर्माण और यहां से निर्यात के लिए करना जारी रखेगी। आरएनएआईपीएल नई मैग्नाइट समेत निसान के नए मॉडल का उत्पादन जारी रखेगी।
इस बीच, दोनों कंपनियां रेनो निसान टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस सेंटर इंडिया (आरएनटीबीसीआई) का संयुक्त रूप से संचालन जारी रखेंगी। इसमें निसान अपनी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखेगी, जबकि रेनो के पास 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी।
समझौते के तहत रेनो समूह इलेक्ट्रिक वाहन ब्रांड एम्पीयर के माध्यम से 2026 से निसान के लिए एक वाहन का विकास एवं उत्पादन करेगा। इस मॉडल को निसान द्वारा डिजाइन किया जाएगा।
रेनो समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) लुका डी मेओ ने बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्षों के लिए लाभदायक यह मसौदा समझौता नए गठबंधन की चुस्त और कुशल मानसिकता को दर्शाता है। यह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कारोबार बढ़ाने की हमारी महत्वाकांक्षा की भी पुष्टि करता है।’’
बयान के मुताबिक, लेनदेन पूरा होने के बाद आरएनएआईपीएल को रेनो समूह के एकीकृत वित्तीय विवरणों में 100 प्रतिशत पर समायोजित किया जाएगा।
निसान के आगामी अध्यक्ष एवं सीईओ इवान एस्पिनोसा ने कहा, ‘‘भारत हमारे शोध एवं विकास, डिजिटल और अन्य ज्ञान-आधारित सेवाओं के लिए एक केंद्र बना रहेगा। भारतीय बाजार में नए एसयूवी मॉडल लाने की हमारी योजना कायम है और हम भारत के लिए बने वाहनों का अन्य बाजारों में निर्यात भी जारी रखेंगे।’’
भारत में निसान के परिचालन प्रमुख फ्रैंक टॉरेस ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विनिर्माण संयुक्त उद्यम से बाहर निकलने से कंपनी को अपनी निश्चित लागत कम करने में मदद मिलेगी।
टॉरेस ने भारत में निसान की मौजूदगी कायम रहने को लेकर उठते सवालों पर कहा, ‘‘हम यहां रहने के लिए हैं…निसान के भारत छोड़ने का कोई कारण नहीं है। रेनो के साथ मौजूदा व्यवस्था लगभग 2032 तक हमारी जरूरतें पूरी करेगी।’’
उन्होंने कहा कि निसान भविष्य में अनुबंध निर्माण के जरिये भारत में अन्य कंपनियों को वाहन निर्माण की सुविधा आउटसोर्स करने के लिए तैयार है।
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