(ओल्गा बोइचाक, सिडनी यूनिवर्सिटी और कैटरीना कासियानेंको, क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी)
सिडनी, 17 मार्च (द कन्वरसेशन) यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के तीन साल से अधिक समय बाद दोनों युद्धरत देशों के बीच 30 दिन के युद्ध-विराम की संभावनाएं बनती दिख रही हैं, लेकिन न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
रूस-यूक्रेन युद्ध मानव इतिहास के सबसे घातक, विश्लेषित और प्रलेखित युद्धों में से एक है। 24 फरवरी 2022 की रात से लाखों यूक्रेनी नागरिकों, सैन्य कर्मियों, पत्रकारों, अधिकारियों और नागरिक समाज के सदस्यों ने युद्ध पर प्रत्यक्षदर्शी विवरण, अपडेट, टिप्पणियां और राय साझा की हैं।
दुनियाभर में कई ऑनलाइन समूह भी रूसी दुष्प्रचार का मुकाबला करने और यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।
हम पिछले तीन वर्षों से इन समुदायों पर अध्ययन कर रहे हैं, सदस्यों के साथ घंटों साक्षात्कार कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। इस शोध को पूरा करने और सदस्यों से जुड़ने के लिए हमें इनमें से कुछ समूहों में शामिल होना पड़ा-जो साइबर संसार में अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं के लिए एक सामान्य आवश्यकता है।
हमारा काम रूस के खिलाफ ऑनलाइन लड़ाई में कार्यकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कौशल और रणनीतियों पर प्रकाश डालता है। अधिक व्यापक रूप से, यह दिखाता है कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ता युद्ध और अन्य अंतरराष्ट्रीय संकटों के दौर में कैसे लामबंद हो सकते हैं और ऑफलाइन महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।
रूस का दुष्प्रचार अभियान
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के साथ ही इंटरनेट पर गलत सूचना और दुष्प्रचार अभियान भी चलाए गए, जिनका उद्देश्य यूक्रेनी और अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के बीच मतभेद, अविश्वास और निराशा पैदा करना था। उदाहरण के तौर पर एक दुष्प्रचार अभियान के तहत यूक्रेन को नाजियों द्वारा शासित एक असफल राज्य के रूप में चित्रित किया गया।
यूक्रेन ने रूसी दुष्प्रचार का मुकाबला करने, विश्व से मदद की अपील करने और अपने रक्षात्मक अभियानों को बनाए रखने के लिए खुद का सूचना अभियान शुरू किया।
कुछ मामलों में सोशल मीडिया मंचों ने रूस के हितों को आगे बढ़ाया। उन्होंने रूस की ओर से किए गए युद्ध अपराधों के सबूतों को भी दबाया।
उदाहरण के लिए रूसी आक्रमण के पहले वर्ष में डिस्क्लोज जैसे स्वतंत्र खोजी पत्रकारिता संगठनों ने यूक्रेनी नागरिकों के खिलाफ रूसी सैनिकों द्वारा किए गए हजारों युद्ध अपराधों का दस्तावेजीकरण किया। इन अपराधों में हत्या, यातना, शारीरिक और यौन हिंसा, जबरन स्थानांतरण, लूटपाट और स्कूलों व अस्पतालों जैसे नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना शामिल था।
संबंधित सामग्री में ज्यादातर हिंसक दृश्य और आपत्तिजनक भाषा शामिल थी। नतीजतन इन्हें ‘इंस्टाग्राम’ और ‘यूट्यूब’ जैसे मंच से हमेशा के लिए हटा दिया गया।
दूसरी ओर, गलत सूचना वाली सामग्री “मॉडरेशन” (एल्गॉरिद्म द्वारा की जाने वाली छंटनी) से बच गई। उदाहरण के लिए, बीबीसी ने 2023 में अपनी एक पड़ताल में पाया कि यूक्रेनी अधिकारियों के बारे में झूठ फैलाने वाले रूसी दुष्प्रचार अभियान के लिए टिकटॉक पर हजारों फर्जी अकाउंट बनाए गए थे।
इससे इंटरनेट पर अक्सर गलत सूचना प्रसारित होती थी। रूसी दुष्प्रचार तो दिखाई देता था, लेकिन यूक्रेनियों के खिलाफ रूसी हिंसा की वास्तविक सीमा को छिपाया जाता था।
यूक्रेनी आवाज को बढ़ावा देना
इस संदर्भ में हजारों इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने “कंटेंट मॉडरेटर” का ध्यान आकर्षित किए बिना यूक्रेन को रचनात्मक रूप से समर्थन देने के लिए ऑनलाइन समूह बनाए।
यूक्रेन में युद्ध के दौरान यह कोई नयी या अनोखी बात नहीं थी।
रूस के आक्रमण के बाद उभरे सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध ऑनलाइन समूहों में से एक ‘नॉर्थ अटलांटिक फेला ऑर्गनाइजेशन’ था। यह समूह मई 2022 में अस्तित्व में आया था।
कार्रवाई के लिए आह्वान
फेसबुक, ‘एक्स’ और टिकटॉक पर कई पोस्ट में उपयोगकर्ता ज्यादा ‘व्यू’ हासिल करने के लिए सेल्फी या अन्य तस्वीरें साझा करते हैं और ‘फॉलोअर’ से मदद का अनुरोध करते हैं। अधिकतर मामलों में वे यूक्रेन की मदद के लिए सैन्य या मानवीय प्रयासों के वास्ते तत्काल धन जुटाने का प्रयास करते हैं।
दुष्प्रचार का मुकाबला
‘नॉर्थ अटलांटिक फेला ऑर्गनाइजेशन’ के सदस्य रूसी दुष्प्रचार और गलत सूचना अभियान का मुकाबला करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हैं।
वे गलत सूचना फैलाने वाले खातों (अक्सर रूसी सरकार द्वारा नियंत्रित) के साथ जुबानी जंग में उलझने के बजाय गलत सूचना अभियान को पटरी से उतारने की कोशिश करते हैं।
ऐसा लगता है कि यह ऑनलाइन युद्ध तब तक नहीं थमेगा, जब तक रूस-यूक्रेन जारी रहेगा।
(द कन्वरसेशन)
शुभम पारुल
पारुल