नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से संस्था की शुचिता के साथ ‘‘गंभीर समझौता’’ हुआ है और उन्होंने सवाल किया कि क्या उच्चतम न्यायालय इस मामले पर फिर स्वत: संज्ञान लेगा।
कांग्रेस नेता गांधी ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि अब यह ‘‘पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से इतने डरे हुए क्यों हैं।’’
गांधी की यह टिप्पणी अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग की शनिवार रात जारी उस रिपोर्ट के बाद आई है जिसमें उसने संदेह जताया है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में पूंजी बाजार नियामक सेबी की अनिच्छा का कारण सेबी प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है।
गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व निभाने वाले प्रतिभूति नियामक सेबी की शुचिता, इसकी अध्यक्ष के खिलाफ लगे आरोपों से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘देश भर के ईमानदार निवेशकों के मन में सरकार के लिए कई सवाल हैं: सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब जाती है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अदाणी?’’
गांधी ने सवाल किया कि सामने आए नए और ‘‘बेहद गंभीर’’ आरोपों के मद्देनजर क्या उच्चतम न्यायालय इस मामले की फिर से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) जांच से इतना क्यों डरते हैं और इससे क्या खुलासा हो सकता है।’’
कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर अपना एक वीडियो बयान भी पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में यह उनका कर्तव्य है कि वह लोगों के ध्यान में लाएं कि भारतीय शेयर बाजार में ‘‘काफी जोखिम’’ है, क्योंकि बाजार को नियंत्रित करने वाली संस्था ‘‘समझौता’’ कर चुकी है।
गांधी ने वीडियो में कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि आप भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच देख रहे हैं और मैच देखने वाला और खेलने वाला हर व्यक्ति जानता है कि अंपायर ने समझौता कर लिया है। क्या मैच निष्पक्ष होगा, नतीजा क्या होगा। मैच में भाग लेने वाले व्यक्ति के रूप में आपको कैसा लगेगा?’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार में बिल्कुल यही हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में लोग भारत के शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। गांधी ने कहा, ‘‘वे अपनी मेहनत और ईमानदारी से कमाई गई बचत को शेयर बाजार में निवेश करते हैं और विपक्ष के नेता के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपके ध्यान में लाऊं कि भारतीय शेयर बाजार में काफी जोखिम है, क्योंकि शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाली संस्था से समझौता किया गया है।’’
गांधी ने कहा, ‘‘अब मैं आपको विस्तार से बताऊंगा कि यह कैसे और क्यों समझौता किया गया। अदाणी समूह के खिलाफ एक बहुत ही गंभीर आरोप अवैध शेयर स्वामित्व और ऑफशोर फंड का उपयोग करके मूल्य हेरफेर का था। अब यह सामने आया है कि सेबी की अध्यक्ष माधवी बुच और उनके पति का उन फंड में से एक में हित था। यह एक विस्फोटक आरोप है क्योंकि इसमें आरोप लगाया गया है कि अंपायर खुद समझौता कर चुके हैं।’’
उन्होंने कहा कि लाखों भारतीयों की मेहनत और ईमानदारी से कमाई गई बचत खतरे में है। उन्होंने कहा कि इसलिए, यह जरूरी है कि इस मामले की जांच की जाए।
सेबी ने रविवार को कहा कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है और अध्यक्ष ने समय-समय पर संबंधित जानकारी दी तथा संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग रखा।
अदाणी समूह ने नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।
भाषा आशीष अमित
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