जयपुर, 29 मार्च (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने शनिवार को कहा कि परंपरा के साथ आधुनिक ज्ञान की दृष्टि से ही भारत विश्व गुरु बनेगा। राज्यपाल, अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
एक आधिकारिक बयान के अनुसा, बागडे ने कहा कि विश्वविद्यालय में इस प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार होने चाहिए, जिससे समाज में रोजगार का सृजन हो सके।
उन्होंने कहा कि ज्ञान की विभिन्न शाखाओं का अध्ययन कर युवा उद्यमी बनने चाहिए, जिससे देश के विकास में उनका योगदान सुनिश्चित होगा।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा मनुष्य का निर्माण करने वाली हो और महर्षि दयानंद सरस्वती मानव मूल्यों के साक्षात उदाहरण रहे हैं।
बागडे ने कहा कि भारत की समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा रही है और महर्षि भारद्वाज के द्वारा वर्णित विमान विज्ञान के आधार पर 1895 में शिवकर बापूजी तलपे ने यहां विमान उड़ाया था।
राज्यपाल ने कहा कि शिवकर बापूजी तलपे ने चिरंजीलाल वर्मा से संस्कृत ग्रंथों की शिक्षा ग्रहण की थी और इसके बाद ही 1903 में राइट बंधुओं ने विमान बनाया।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार गुरुत्वाकर्षण के बारे में न्यूटन से बहुत ही पहले कॉपरनिकस और उससे भी पहले भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया था। राज्यपाल ने कहा कि विनोबा भावे ने आजादी के तत्काल पश्चात शिक्षा पद्धति में बदलाव की आवश्यकता बताई थी लेकिन लॉर्ड मैकाले ने भारत को गुलाम बनाने के लिए जो शिक्षा पद्धति चलाई थी वह अब तक चल रही है।
बागडे ने कहा कि नई शिक्षा पद्धति भारत के समाज, नागरिक और संस्कृति के अनुसार है और नई शिक्षा नीति से निकले हुए विद्यार्थियों के माध्यम से समाज को आगामी कुछ समय में ही परिणाम मिलने लगेंगे।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में कुलपति को कुलगुरु कहना प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति की पुन स्थापना की दिशा में एक कदम है और प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति परिपूर्ण थी।
राज्यपाल ने नई शिक्षा पद्धति को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह विद्यार्थियों के विकास से जुड़ी है।
भाषा पृथ्वी जितेंद्र
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