राजनीति मेरे लिए ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं, मैं असल में योगी हूं: आदित्यनाथ |

Ankit
4 Min Read


(तस्वीरों के साथ जारी)


नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भविष्य में उनके प्रधानमंत्री बन सकने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि राजनीति उनके लिए ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है और वह दिल से योगी हैं।

आदित्यनाथ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि उनका प्राथमिक काम उत्तर प्रदेश के लोगों की सेवा करना है जो उनकी पार्टी ने उन्हें सौंपा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और पार्टी ने मुझे राज्य के लोगों की सेवा करने के लिए यहां रखा है।’’

आदित्यनाथ ने संभावित प्रधानमंत्री के रूप में उनके प्रति बढ़ते समर्थन के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘राजनीति मेरे लिए एक ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है। इस समय मैं यहां काम कर रहा हूं लेकिन वास्तविकता में मैं हूं तो एक योगी ही।’’

यह पूछे जाने पर कि उनकी राजनीति में कब तक बने रहने की योजना है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसकी भी एक समयसीमा होगी।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उनके जवाब का मतलब यह है कि राजनीति उनके लिए ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है, आदित्यनाथ ने दोहराया, ‘‘हां मैं वही कह रहा हूं।’’

धर्म और राजनीति के संबंध में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘हम धर्म के पक्ष को सीमित दायरे में कैद करके रखते हैं और राजनीति को भी हम चंद मुट्ठीभर लोगों की कैद में रखते हैं। सारी समस्या वहीं से खड़ी होती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति अगर स्वार्थ के लिए है तो वह समस्या पैदा करेगी। राजनीति अगर परमार्थ के लिए है तो वह समाधान देगी। हमें तय करना होगा कि हमें समाधान का रास्ता अपनाना है या समस्या का रास्ता अपनाना है और मुझे लगता है कि धर्म भी यही (सिखाता) है।’’

आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘धर्म जब स्वार्थ के लिए होता है, आत्मकल्याण के लिए होता है तो वह नयी-नयी चुनौतियां देगा, नयी-नयी समस्याएं देगा और जब व्यक्ति परमार्थ के लिए अपने आप को होम करता है, अपने आप को समर्पित करता है तो वह नए-नए रास्ते दिखाएगा, प्रगति के नए-नए रास्ते सुझाएगा।’’

आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय परंपरा धर्म को स्वार्थ से नहीं जोड़ती।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत की परंपरा में भारतीय मनीषा ने धर्म को स्वार्थ के साथ नहीं जोड़ा है। उसके दो हित बताए गए हैं कि सांसारिक जीवन में उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त करना, विकास के मार्ग को प्राथमिकता देना और इस लौकिक जीवन में एवं पारलौकिक जीवन के लिए मोक्ष की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ना। तो यहां दोनों का उद्देश्य ही सेवा है। मुझे लगता है कि राजनीति मात्र एक मंच है और इस सेवा भाव को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में इसका उपयोग किया जा रहा है।’’

यह पूछे जाने पर कि वह खुद को धार्मिक व्यक्ति मानते है या राजनेता, आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘मैं एक नागरिक के रूप में काम करता हूं और अपने को विशेष नहीं मानता। एक नागरिक के रूप में अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए मेरे लिए देश सर्वोपरि है और देश अगर सुरक्षित है तो मेरा धर्म भी सुरक्षित है। धर्म सुरक्षित है तो कल्याण का मार्ग अपने आप प्रशस्त होता है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि वह 100 साल बाद के लिए अपनी कोई विरासत छोड़ कर जाएंगे आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘…नाम नहीं, हमारे काम आने वाली पीढ़ी के लिए स्मरणीय होंगे। किसी की पहचान उसके काम से होनी चाहिए, नाम से नहीं।’’

भाषा

सिम्मी नरेश

नरेश



Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *