पेरिस, एक सितंबर (भाषा) भारतीय तीरंदाज राकेश कुमार रविवार को यहां पैरालंपिक के कंपाउंड पुरुष ओपन तीरंदाजी सेमीफाइनल में चीन के प्रतिद्वंद्वी एन शिनलियांग के खिलाफ अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाने में विफल रहे और दो अंक से हार गए।
दुनिया के नंबर एक तीरंदाज राकेश अब कांस्य पदक के लिए खेलेंगे।
शिनलियांग ने सेमीफाइनल में राकेश को 145-143 से शिकस्त दी। यह चीन के खिलाड़ी की भारतीय खिलाड़ी पर लगातार तीसरी जीत है। राकेश का अभियान तोक्यो पैरालंपिक में शिनलियांग से क्वार्टर में इसी समान स्कोर से हार से समाप्त हुआ था।
इससे पहले राकेश ने अपनी विश्व नंबर एक रैंकिंग को सही साबित करते हुए लगातार शूट-ऑफ जीतते हुए पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।
तोक्यो पैरालंपिक में क्वार्टर फाइनल में बाहर होने वाले 39 वर्षीय भारतीय अनुभवी तीरंदाज ने पहले इंडोनेशिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी केन स्वगुमिलांग को 144-144 (10-8) से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।
खेल मनोवैज्ञानिक और आहार विशेषज्ञ राकेश ने असाधारण संयम का परिचय देते हुए दो घंटे के भीतर एक और रोमांचक शूट-ऑफ कनाडा के काइल ट्रेम्बले को एकदम सटीक निशाना लगाकर 144-144 (10*-10) से हराया।
राकेश की शुरुआत धीमी रही। वह नौ तीरों के बाद दो अंकों से पीछे चल रहे थे। पर उन्होंने धैर्य बनाए रखते हुए चौथी सीरीज में तीन परफेक्ट 10 लगाए जिससे उन्हें 116-115 की मामूली बढ़त हासिल हुई।
पर रोमांच तब पैदा हुआ जब राकेश एक अंक से पिछड़ गए। कनाडाई तीरंदाज ने दो 10 अंक के शॉट लगाए और उनका अंतिम तीर केंद्र के करीब लगा।
स्कोर 144-144 से बराबर था। राकेश इसी स्कोरलाइन के बाद शूट-ऑफ से क्वार्टर फाइनल में पहुंचे थे।
इससे पहले राकेश ने अपने अंतिम तीर की गलती से वापसी करते हुए इंडोनेशिया के केन को शूटऑफ में हराकर लगातार दूसरी दफा पैरालंपिक खेलों के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी।
दुनिया के शीर्ष दो तीरंदाजों के बीच मुकाबले में राकेश ने एक अंक की मामूली बढ़त बनाए रखी और उन्हें जीतने के लिए नौ अंक के शॉट की जरूरत थी। लेकिन वह आठ अंक की रिंग में शॉट लगा बैठे। इससे दोनों तीरंदाज 15 तीर के बाद 144-144 से बराबरी पर पहुंच गये।
तोक्यो पैरालंपिक में क्वार्टर फाइनल से बाहर होने वाले 39 वर्षीय अनुभवी राकेश ने इसके बाद हुए शूट-ऑफ में परफेक्ट 10 शॉट लगाने के लिए संयम बनाए रखा जबकि केन आठ अंक का शॉट ही लगा सके।
जम्मू के तीरंदाज राकेश ने पिछले साल एशियाई पैरा चैंपियनशिप की व्यक्तिगत और मिश्रित टीम स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने विश्व पैरा चैंपियनशिप में मिश्रित टीम का स्वर्ण पदक भी जीता था।
राकेश को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी और 2009 में ठीक होने के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें जीवन भर व्हीलचेयर पर रहना पड़ेगा। इससे वे अवसाद में चले गए।
अपने तीरंदाजी कोच कुलदीप वेदवान से मिलने के बाद उनके जीवन ने एक नया मोड़ लिया।
भाषा नमिता
नमिता
नमिता