राकांपा (एसपी) ने शक्ति विधेयक को मंजूरी दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन की योजना बनायी

Ankit
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मुंबई, दो सितंबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को मांग की कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पारित शक्ति विधेयक को मंजूरी दें, जिसमें बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है।


उन्होंने कहा कि राकांपा (एसपी) के नेता और महिला कार्यकर्ता विधेयक को मंजूरी देने में देरी के खिलाफ मंगलवार को राज्य सचिवालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने लाल फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

संयोग से राष्ट्रपति मुर्मू महाराष्ट्र के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। वह मंगलवार को सचिवालय से सटे राज्य विधान परिषद के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होंगी।

राकांपा (एसपी) प्रमुख शरद पवार की ओर से केंद्र द्वारा उन्हें दी गई ‘जेड प्लस’ सुरक्षा के तहत कुछ सुविधाओं को लेने से इनकार करने के बारे में पूछे जाने पर देशमुख ने आरोप लगाया कि राज्य विधानसभा चुनाव से पहले पवार से मिलने आने वाले राजनीतिक लोगों पर नजर रखने के लिए यह सुरक्षा प्रदान की जा रही है।

केंद्रीय एजेंसियों द्वारा खतरे के आकलन की समीक्षा के बाद केंद्र ने पवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की ‘वीआईपी’ सुरक्षा शाखा का ‘जेड प्लस’ कवर प्रदान किया। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि पवार ने उनसे कहा कि उनको यह नहीं बताया गया कि सुरक्षा क्यों बढ़ाई जा रही है।

देशमुख ने संवाददाताओं को बताया, “जब मैं महाराष्ट्र का गृह मंत्री था, तब हमारी सरकार ने शक्ति विधेयक पारित किया था जिसके तहत बलात्कारियों को मृत्युदंड दिया जा सकता है। लेकिन यह विधेयक कानून बनने से पहले केंद्र की मंजूरी (राष्ट्रपति की स्वीकृति) के लिए लंबित है।”

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को विधेयक पर केन्द्र सरकार के साथ सहमति के लिए तत्परता से आगे बढ़ना चाहिए।

देशमुख ने कहा, “यदि केंद्र को शक्ति विधेयक पर कोई समस्या है तो उसे राज्य सरकार से बात करनी चाहिए और उसके अनुसार बदलाव किए जा सकते हैं।”

उन्होंने गृह मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था, विशेषकर महिलाओं के खिलाफ अपराध पर ध्यान देना जरूरी है।

देशमुख ने आरोप लगाया, “फडणवीस क्योंकि विपक्षी दलों को तोड़ने और केंद्रीय एजेंसियों के जरिए राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने में व्यस्त हैं, इसलिए उनके पास शासन के लिए समय नहीं है।”

भाषा

प्रशांत संतोष

संतोष



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