मुंबई, तीन अगस्त (भाषा) कांग्रेस और राकांपा (एसपी) ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाझे के आरोपों का शनिवार को खंडन किया और सवाल किया कि पुलिस के संरक्षण में रहते हुए उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति कैसे दी गई।
वाझे ‘एंटीलिया’ बम कांड और ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में आरोपी है। वाझे वर्तमान में नवी मुंबई के तलोजा केंद्रीय कारागार में बंद है।
खबरों के मुताबिक, वाझे ने देशमुख के खिलाफ रिश्वत लेने के अपने आरोप को दोहराया है।
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने गृह मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान पुलिस अधिकारियों से शहर के बार और रेस्टोरेंट से हर माह 100 करोड़ रुपये वसूलने को कहा था। आरोपों के मद्देनजर देशमुख ने 2021 में गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रवक्ता महेश तापसे ने दावा किया कि वाझे ने पहले चांदीवाल आयोग को बताया था कि देशमुख या उनके निजी सहायकों ने कभी भी पैसे की मांग नहीं की और न ही उन्होंने उन्हें मुंबई के रेस्तरां और बार से पैसे इकट्ठा करने का निर्देश दिया था।
तापसे ने यह भी कहा कि वाझे का बयान ‘‘स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित’’ है और इसका उद्देश्य कुछ राजनीतिक हितों की पूर्ति करना है।
उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह चांदीवाल आयोग के समक्ष गवाही देने के लिए अनिच्छुक थे।
तापसे ने कहा, ‘‘बाद में उन्होंने (सिंह ने) आयोग को एक पत्र सौंपा जिसमें दावा किया गया कि उनका आरोप एक सूचना पर आधारित है जिसे उन्होंने सुना था और उसके समर्थन में उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है।’’
कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे ने पूछा कि पुलिसकर्मियों के संरक्षण में जेल में बंद एक व्यक्ति को मीडिया से बात करने की अनुमति कैसे दी गई। उन्होंने कहा कि इस बातचीत को सुगम बनाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए।
भाषा देवेंद्र रंजन
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