(फाइल फोटो के साथ)
नासिक, छह अप्रैल (भाषा) शिवसेना नेता संजय राउत ने बैंकों और अन्य प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा के उपयोग को लागू करने पर केंद्रित आंदोलन को रोक देने के महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के फैसले की रविवार को आलोचना की।
उन्होंने यह भी कहा कि मराठी को लेकर निचले स्तर के कर्मचारियों को निशाना बनाना व्यर्थ है।
मनसे प्रमुख ने 30 मार्च को अपनी गुड़ी पड़वा रैली में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए मराठी को अनिवार्य बनाने के अपनी पार्टी के रुख को दोहराया था और चेतावनी दी थी कि जो लोग जानबूझकर भाषा नहीं बोलेंगे, उन्हें “थप्पड़” मारा जाएगा।
हालांकि, मनसे कार्यकर्ताओं ने कुछ बैंक शाखाओं और अन्य प्रतिष्ठानों पर हंगामा किया, लेकिन शनिवार को ठाकरे ने उनसे आंदोलन बंद करने के लिए कहा।
उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि स्थानीय भाषा के इस्तेमाल पर भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का पालन न करने के क्या परिणाम हो सकते हैं।
मनसे के कथित रूप से पलट जाने पर राउत ने संवाददाताओं से कहा,‘‘राज ठाकरे ने अपनी राजनीति की परंपरा का पालन किया है। मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।’’
उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ बैंक कर्मचारियों के साथ की गई मारपीट की भी आलोचना की। उन्होंने पूछा,‘‘चपरासी या चौकीदार की पिटाई से क्या होगा? क्या वे नीतियां तय करते हैं।’’
मनसे सदस्यों ने बृहस्पतिवार को ठाणे में एक निजी बैंक के प्रबंधक से आश्वासन हासिल किया था कि वह अपनी शाखा में मराठी में साइन बोर्ड लगाएंगे और अंग्रेजी में लगा बोर्ड हटाएंगे।
राउत ने कहा, ‘‘हमने शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे पर एक फिल्म बनाई है। इसमें हमने दिखाया है कि किसे पीटना है। हमने एक चपरासी को नहीं बल्कि एअर इंडिया के अध्यक्ष को पीटा। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसका वांछित प्रभाव पड़ा और एअर इंडिया तथा अन्य राष्ट्रीय संस्थानों में मराठी युवाओं की भर्ती का रास्ता साफ हो गया।’’
भाषा
राजकुमार संतोष
संतोष