देहरादून, छह फरवरी (भाषा) उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति की सदस्य और दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि इसके तहत विवाह, तलाक, सहजीवन संबंध (लिव-इन) के अनिवार्य पंजीकरण का प्रदेश के मूल निवास या स्थायी निवास प्रमाणपत्र से कोई सरोकार नहीं है।
यहां जारी एक बयान में प्रो डंगवाल ने कहा कि उत्तराखंड में कम से कम एक साल से रहने वाले सभी लोगों को इसके दायरे में इसलिए लाया गया है ताकि इससे राज्य की जनसांख्यिकी संरक्षित हो सके।
उन्होंने कहा, ‘‘यूसीसी का सरोकार शादी, तलाक, सहजीवन संबंध, वसीयत जैसी सेवाओं से है। इसे स्थायी निवास या मूल निवास से जोड़ना किसी भी रूप में संभव नहीं है। इसके अलावा यूसीसी पंजीकरण से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलने हैं।’’
प्रो डंगवाल ने कहा, ‘‘उत्तराखंड में स्थायी निवास पूर्व की शर्तों के अनुसार ही तय होगा। यह विषय यूसीसी समिति के सामने भी नहीं था।’’
उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत होने वाला पंजीकरण वैसा है जैसे कोई व्यक्ति कहीं भी सामान्य निवास होने पर अपना मतदाता पहचान पत्र बना सकता है।
उन्होंने कहा कि इसके (यूसीसी के) जरिए निजी कानूनों का विनियमन भर किया गया है ताकि उत्तराखंड का समाज और यहां की संस्कृति संरक्षित रह सके और उत्तराखंड की जनसांख्यिकी का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।
इसे और स्पष्ट करते हुए प्रो डंगवाल ने कहा कि इसके जरिए अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर भी अंकुश लग सकेगा।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं और ये लोग उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं लेकिन ऐसे लोग अब पंजीकरण कराने पर ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे।
प्रो डंगवाल ने कहा कि यदि यह सिर्फ स्थायी निवासियों पर ही लागू होता तो अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते जबकि वे यहां की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते रहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका मकसद उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों को यूसीसी के तहत पंजीकरण की सुविधा देने के साथ ही सरकार के डेटा बेस को ज्यादा समृद़ध बनाना है।’’
प्रो डंगवाल ने यह भी कहा कि इससे विवाह नामक संस्था मजबूत ही होगी जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है।
उन्होंने कहा कि संहिता के तहत सभी प्रकार के पंजीकरण किए जा रहे हैं ।
यूसीसी के लिए नियमावली बनाने वाली समिति में भी शामिल रहीं प्रो डंगवाल ने कहा कि सहजीवन संबंध पंजीकरण के लिए दिए जाने वाले दस्तावेजों को केवल रजिस्ट्रार के स्तर पर ही चेक किया जाएगा और किसी अन्य एजेंसी की इसमें कोई भूमिका नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि ऐसे आवेदनों में उच्च स्तर की गोपनीयता बनी रहेगी ।
भाषा दीप्ति राजकुमार
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