यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल हुआ बस्तर का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

Ankit
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रायपुर, 12 मार्च (भाषा) छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।


अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अपनी अनूठी जैव विविधता के साथ भारत का नया यूनेस्को धरोहर दावेदार बन गया है। इस उद्यान को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

उन्होंने बताया कि कांगेर घाटी की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्त्व ने इसे इस मुकाम तक पहुंचाया है।

उनके मुताबिक, दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस स्थल को वैश्विक पहचान दिलाने की योजना बनाई थी। विशेषज्ञों ने इसकी जैव विविधता, पुरातात्विक धरोहर और अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का गहराई से अध्ययन किया और फिर इसका नाम यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया।

अधिकारियों ने बताया कि यह पहली बार है जब छत्तीसगढ़ का कोई स्थल इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल हुआ है। अब पूरी उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इसे स्थायी विश्व धरोहर का दर्जा भी मिल सकता है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस सफलता को लेकर कहा है कि यह कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है।

साय ने कहा है, ”कांगेर घाटी का यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होना राज्य के लिए गौरव का विषय है, जिससे पर्यटन एवं रोजगार में नई संभावनाएं खुलेंगी। हम भविष्य में भी अपनी धरोहरों के संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करते रहेंगे।”

अधिकारियों ने बताया कि कांगेर घाटी सिर्फ जंगल नहीं है, यह एक जादुई दुनिया है। यहां 15 से ज्यादा रहस्यमयी गुफाएं हैं, जैसे कोटमसर, कैलाश और दंडक गुफाएं, जो किसी रहस्यलोक से कम नहीं लगतीं।

उन्होंने बताया कि यहां 15 से अधिक चूना पत्थर की गुफाएं हैं। यहां की टमसर, कैलाश, दंडक गुफाएं न सिर्फ भूवैज्ञानिक चमत्कार हैं, बल्कि पुरातात्विक कहानियां भी समेटे हुए हैं। इस उद्यान में ऊदबिलाव, माउस डियर, जायंट गिलहरी, लेथिस सॉफ्टशेल कछुआ, जंगली भेड़िया जैसे दुर्लभ प्राणी भी निवास करते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि यहां पक्षियों की दो सौ से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं तथा नौ सौ से अधिक वनस्पतियां भी हैं। यहां तितलियों की 140 से अधिक प्रजातियां है।

उन्होंने बताया कि यूनेस्को की अस्थायी सूची एक खास सूची होती है, जिसमें दुनिया के वह स्थान शामिल किए जाते हैं, जिन्हें भविष्य में विश्व धरोहर घोषित किया जा सकता है और यह पहला और सबसे अहम कदम होता है।

अधिकारियों ने कहा कि अब कांगेर घाटी ने भी यह पहला पड़ाव पार कर लिया है और आगे चलकर यदि यह स्थायी सूची में शामिल हो जाती है, तब छत्तीसगढ़ का यह हरा-भरा जंगल पूरे विश्व में अपनी खास पहचान बना लेगा।

अधिकारियों ने बताया कि इस सफलता से सिर्फ जंगल ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों को भी फायदा होगा।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान राज्य के बस्तर क्षेत्र में स्थित है। पार्क का नाम कांगेर नदी से लिया गया है। यह राष्ट्रीय उद्यान 200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

भाषा संजीव नोमान

नोमान



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