यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर, कुलपतियों की भर्ती में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा

Ankit
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नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदा मानदंडों के अनुसार, उद्योग जगत के विशेषज्ञों के साथ-साथ लोक प्रशासन, लोक नीति और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के वरिष्ठ पेशेवर भी कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए जल्द ही पात्र होंगे।


नये दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयों में संकाय सदस्यों की नियुक्ति के मानदंडों में भी संशोधन करेंगे, जिनके तहत कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ ‘मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग’ (एम.ई.) और ‘मास्टर्स ऑफ टेक्नोलॉजी’ (एम.टेक.) में स्नातकोत्तर डिग्री रखने वाले लोगों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण किए बिना सहायक प्रोफेसर स्तर पर सीधे भर्ती किए जा सकने की अनुमति मिल जाएगी।

मसौदा मानदंड उम्मीदवारों को उनकी उच्चतम शैक्षणिक विशेषज्ञता के आधार पर पढ़ाने की अनुमति भी देंगे। उदाहरण के लिए, रसायन विज्ञान में पीएचडी, गणित में स्नातक और भौतिकी में स्नातकोतर डिग्री वाला उम्मीदवार अब रसायन विज्ञान पढ़ाने के लिए योग्य होगा।

इसी तरह, जो व्यक्ति अपने पूर्व के शैक्षणिक विषयों से अलग किसी विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा पास करते हैं, वे उस विषय को पढ़ा सकेंगे जिसमें उन्होंने नेट के लिए अर्हता प्राप्त की थी।

यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार के अनुसार, यूजीसी (विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय) विनियम, 2025, 2018 के दिशानिर्देशों का स्थान लेंगे।

इससे पहले, कुलपति पद के लिए उम्मीदवारों का ऐसा प्रतिष्ठित शिक्षाविद होना आवश्यक था, जिनके पास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में या प्रमुख अनुसंधान या शैक्षणिक प्रशासनिक भूमिका में कम से कम 10 साल का अनुभव हो। अब, उद्योग, सार्वजनिक प्रशासन, सार्वजनिक नीति या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कम से कम 10 साल के वरिष्ठ स्तर के अनुभव वाले ऐसे व्यक्ति भी कुलपति के पद के लिए भी पात्र हैं जिनका शैक्षणिक रिकॉर्ड अच्छा है।

भाषा सिम्मी प्रशांत

प्रशांत



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