(जेम्स हेग, द ओपन यूनिवर्सिटी)
मिल्टन कीन्स(ब्रिटेन), 13 अप्रैल (द कन्वरसेशन) प्रयोगशाला में तैयार मांस को लेकर गरमागरम बहस होती है। समर्थक जलवायु और पशु कल्याण के लिहाज से इसे लाभदायक मानते हैं।
वहीं, विरोधियों को फ्रेंकस्टीन भोजन (जीन संशोधित तकनीक से तैयार भोजन) की चिंता है जिसे वे जोखिम भरा और अप्राकृतिक मानते हैं। आपकी राय चाहे जो भी हो, मांसपेशियों के ऊतकों के बड़े टुकड़े बनाने की यह प्रौद्योगिकी तेजी से आगे बढ़ रही है।
तथ्य यह है कि कृत्रिम मांस एक जीवित ऊतक के रूप में शुरू होता है, इसका मतलब यह है कि जैसे-जैसे यह बड़ा और बेहतर होता जाएगा, इसमें शामिल प्रौद्योगिकियों का चिकित्सा अनुसंधान पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
प्रयोगशाला में तैयार मांस एक तरह का ‘इंजीनियर्ड’ ऊतक है। इसका उद्देश्य मांसपेशियों को बनाने के लिए जानवरों से उसकी कोशिकाओं की एक छोटी संख्या को अलग करना और उस कोशिका को जानवर के शरीर में विकसित होने की नकल करना है। मांस ज्यादातर मांसपेशियों की कोशिकाओं (मायोसाइट्स) से बना होता है, साथ ही वसा कोशिकाओं (एडिपोसाइट्स) और कोशिकाओं का मिश्रण होता है जो कोलेजन (फाइब्रोब्लास्ट के रूप में जाना जाता है) जैसी सामग्रियों के माध्यम से संरचना जोड़ते हैं।
इन कोशिकाओं की व्यवस्था और अनुपात मांस को उसका समग्र स्वाद और बनावट देते हैं। हम बायोरिएक्टर में उगाए गए मांस को “संवर्धित मांस” कहते हैं। अन्य सामान्य शब्द ‘‘कल्टीवेटेड मीट ’’, ‘‘प्रयोगशाला में तैयार किया गया मांस’’ और ‘‘कृत्रिम मांस’’ हैं, और उत्पादन प्रक्रिया को ‘‘कोशिका कृषि’’ भी कहा जाता है।
प्रयोगशाला में तैयार मांस जानवरों के बजाय बायोरिएक्टर में उगाया गया असली मांस है (यह सोया बर्गर जैसे पौधे-आधारित उत्पादों से बहुत अलग है)। कुछ कंपनियां ‘फोई ग्रास’ की जगह जानवरों के यकृत जैसे ऊतकों को तैयार करने की भी कोशिश कर रही हैं। प्रयोगशाला में मांस तैयार करने के मुख्य लाभों में पशु वध से बचना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना शामिल है।
प्रयोगशाला में मांस तैयार करने की प्रौद्योगिकियों को मूल रूप से अंग प्रत्यारोपण, पुनरुत्पादक चिकित्सा और औषधि परीक्षण जैसे अनुप्रयोगों के लिए इंजीनियर ऊतक विकसित करने के लिए डिजाइन किया गया था।
एक दिन, ‘इंजीनियर्ड’ ऊतक का उपयोग हमें नया यकृत देने, दुर्घटनाओं में क्षतिग्रस्त ऊतकों के पुनर्निर्माण में मदद करने तथा कैंसर के उपचार में किया जा सकेगा।
साझा चुनौतियां
मांसपेशियों की तरह, शरीर के अन्य ऊतकों जैसे अंगों में भी कोशिकाएं और ‘कोलेजन’(शरीर में मौजूद प्रमुख प्रोटीन) जैसी चीजें होती हैं जो उन्हें संरचना प्रदान करती हैं।
ऊतकों में कोशिकाएं अपने कार्य के अनुसार सटीक तरीके से व्यवस्थित होती हैं। उदाहरण के लिए, मांसपेशियों में, सभी कोशिकाएं पंक्तिबद्ध होती हैं ताकि वे गति के दौरान एक ही दिशा में सिकुड़ें।
मांस के लिए प्रयोगशाला में विकसित ऊतकों और चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए विकसित ऊतकों के बीच एक बड़ा अंतर ऊतक की कार्यक्षमता है। प्रयोगशाला में तैयार मांस को मांसपेशियों की तरह सिकुड़ने की जरूरत नहीं होती और एक बार विकसित होने के बाद उसे जीवित रखने की भी जरूरत नहीं होती। इस बीच, चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए तैयार ऊतक को शरीर में अपने समकक्ष की तरह ही काम करने की जरूरत होती है।
इसके बावजूद, प्रयोगशाला में तैयार मांस से प्राप्त कुछ सबक पुनरुत्पादक चिकित्सा में लागू किए जा सकते हैं। ‘संरचना’ कोशिकाएं फाइब्रोब्लास्ट घाव भरने के दौरान महत्वपूर्ण होती हैं। मांसपेशियों और यकृत को विकसित करने की तकनीकों को कार्यशील ऊतक विकसित करने के लिए संशोधित किया जा सकता है।
प्रयोगशाला में तैयार मांस और ‘इंजीनियर्ड’ ऊतक को विकसित करते समय एक साझा डिजाइन चुनौती ऊतक की संगठनिक संरचना को नियंत्रित करना है, जो ‘स्टीक’ जैसे मांस के बड़े टुकड़ों को विकसित करने के लिए आवश्यक है, लेकिन शरीर के लिए प्रतिस्थापन ऊतक और अंगों के लिए भी आवश्यक है। संभावनाओं में ‘टेथर’ का उपयोग करके ऊतक को तनाव में रखना, जोड़ना और 3 डी प्रिंटिंग का उपयोग करना शामिल है।
किसी ऊतक को नियंत्रित करने के तरीकों को डिजाइन करने की प्रक्रिया में सावधानीपूर्वक परीक्षण और त्रुटि के बाद महीनों या वर्षों का समय लग सकता है। ऊतक वृद्धि के हाल के कंप्यूटर द्वारा नकल किया गया, जिनमें स्वयं मेरे और मेरे सहकर्मियों द्वारा किए गए इस तरह के प्रयोग भी शामिल हैं, ये कोशिका संगठन को नियंत्रित करने के कठिन कार्य में मदद कर सकते हैं, जिससे बनावट और उत्पादन दक्षता जैसी चीजों में सुधार हो सकता है।
इस नियंत्रण प्रक्रिया को विकसित करने से प्रारंभिक दवा परीक्षणों में उपयोग किए जाने वाले शरीर के ऊतकों को तैयार करने में मदद मिल सकती है, जिससे नैदानिक परीक्षणों में सफलता दर में सुधार हो सकता है, तथा पशु आधारित परीक्षणों में कमी आ सकती है। यह परीक्षण प्रतिभागियों के लिए बेहतर होगा तथा दवा विकास लागत को कम करने में मदद कर सकता है।
प्रयोगशाला में तैयार मांस और पुनरुत्पादन चिकित्सा दोनों के लिए एक और बड़ी अनसुलझी समस्या यह है कि बड़े ऊतकों की आपूर्ति कैसे की जाए, क्योंकि वे बढ़ते हैं। छोटे ऊतकों को आवश्यक ऑक्सीजन वातावरण से मिल सकती है, या वे पोषक तत्वों के साथ विकसित हो सकते हैं। स्टीक (मांस का बड़ा टुकड़ा) इस लिहाज से बहुत बड़े होते हैं और उन्हें ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने के लिए धमनियों के समान वाहिकाओं के माध्यम से जीवित रखने की आवश्यकता होगी।
प्राकृतिक रक्त वाहिकाएं ऊतकों को आपूर्ति करने के लिए शाखायुक्त नेटवर्क बनाती हैं। कम्प्यूटर आधार प्रौद्योगिकी इस तरह के नेटवर्क का पूर्वानुमान लगा सकती हैं और तीन आयामी बायोप्रिंटिंग का उपयोग इसी तरह की वाहिकाएं बनाने के लिए किया जा सकता है। स्टीक में वाहिकाओं का नेटवर्क विकसित करने से प्राप्त सबक को पुनरुत्पादन चिकित्सा (ऐसा उपचार जिसमें क्षतिग्रस्त अंगों की मरम्मत की जाती है) के लिए ऊतकों पर सीधे लागू किया जा सकता है (और इसके विपरीत भी)।
मुझे उम्मीद है कि सस्ते, प्रयोगशाला में तैयार मांस के लिए दबाव से वर्तमान में महंगी तकनीकों, जैसे 3डी बायोप्रिंटिंग और बायोरिएक्टर की कीमत कम हो जाएगी। इससे अंततः चिकित्सा अनुप्रयोगों को लाभ होगा।
आपकी नजदीकी दुकान पर आ रहा
जैसे ही ये मुद्दे सुलझ जाएंगे, प्रयोगशाला में तैयार मांस व्यापक रूप से उपलब्ध हो जाएगा और अबतक पशुपालन से प्राप्त मांस जैसा ही हो जाएगा। चूंकि प्रयोगशाला में तैयार मांस और पारंपरिक पशु पालन से प्राप्त मांस में अंतर करना मुश्किल होगा, इसलिए यह मानने का कोई कारण नहीं है कि एक दूसरे की तुलना में अधिक या कम स्वस्थ होना चाहिए। वर्तमान में, कई उत्पाद विनियामक प्रक्रियाओं से गुजर रहे हैं।
अब तक कुछ ही देशों ने मानव उपभोग के लिए प्रयोगशाला में तैयार मांस के उत्पादों को मंजूरी दी गई है, तथा दुनिया भर में अनुमति के आवेदन जमा किये जा रहे हैं। ब्रिटेन के नियामकों ने हाल ही में मानव उपभोग के लिए प्रयोगशाला में तैयार मांस को मंजूरी देने (या न देने) के लिए दो साल की समयसीमा की घोषणा की है। प्रयोगशाला में तैयार मांस को कुत्तों के भोजन के रूप में देने की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।
कुल मिलाकर, चिकित्सा में प्रयोगशाला में तैयार मांस और ऊतक के अनुप्रयोगों के बीच महत्वपूर्ण संबंध हैं। दोनों अनुप्रयोगों में समान चुनौतियां हैं, तथा एक क्षेत्र के लिए विकसित प्रौद्योगिकियां दूसरे क्षेत्र को आगे बढ़ा सकती हैं।
दोनों क्षेत्र पशु कल्याण के लिए लाभकारी हो सकते हैं, पशु वध की आवश्यकता को समाप्त कर सकते हैं तथा पशु परीक्षण की आवश्यकता को कम कर सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में प्रयोगशाला में तैयार मांस आपके नजदीकी सुपरमार्केट में उपलब्ध हो जाएगा। चाहे आप इसे खरीदना चाहें या नहीं, इस बारे में सोचें कि इसे बनाने में प्रयुक्त प्रौद्योगिकी बेहतर दवाओं और प्रतिरोपण के लिए प्रयोगशाला में विकसित अंगों की दिशा में एक कदम हो सकती है।
(द कन्वरसेशन) धीरज प्रशांत
प्रशांत