मोदी की यात्रा के दौरान भारत, श्रीलंका के बीच ऊर्जा सहयोग बढ़ाने पर सहमति के आसार: भारतीय उच्चायुक्त |

Ankit
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(मानस प्रतिम भुइंया)


कोलंबो, चार अप्रैल (भाषा) भारत ऊर्जा, संपर्क, डिजिटलीकरण, व्यापार और रक्षा के क्षेत्रों में श्रीलंका के साथ अपने सहयोग को और बढ़ाने पर विचार कर रहा है। श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने यह बात कही।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार से द्वीपीय राष्ट्र की तीन-दिवसीय यात्रा शुरू कर रहे हैं।

भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि ऊर्जा क्षेत्र में भागीदारी भारत-श्रीलंका साझेदारी के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक रही है। उन्होंने कहा कि द्वीपीय राष्ट्र को सस्ती ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

मोदी शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ व्यापक मुद्दों पर बातचीत करेंगे। इस बातचीत से दोनों देशों के बीच कई प्रमुख क्षेत्रों में अपने समग्र संबंधों को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।

भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संयुक्त रूप से त्रिंकोमाली तेल कंपनियों को विकसित करने की व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जा रहा है। और यह उन सात समझौतों में से एक हो सकता है, जिन पर दोनों नेताओं के बीच वार्ता के बाद हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।

झा ने विस्तृत जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि इस यात्रा के दौरान ऊर्जा सहयोग के कई तत्व सामने आएंगे।

प्रधानमंत्री मोदी चार से छह अप्रैल तक श्रीलंका की यात्रा पर हैं।

दोनों पक्षों द्वारा पहली बार रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने की भी संभावना है, जिसका उद्देश्य संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण और सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति के संदर्भ में चल रहे संबंधों को संस्थागत बनाना है।

प्रस्तावित रक्षा समझौते के बारे में पूछे जाने पर भारतीय उच्चायुक्त इस बारे में बात करने से हिचक रहे थे।

संतोष झा ने कहा, ‘‘मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि हम श्रीलंका के साथ रक्षा के अनेक क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं जो कई वर्षों से चल रहा है और समझौता ज्ञापन का उद्देश्य इसे एक व्यापक ढांचे के अंतर्गत लाना तथा इसे एक संरचित तरीके से करना है।’’

भारतीय उच्चायुक्त ने कहा कि भारत-श्रीलंका समुद्री सुरक्षा सहयोग दोनों पक्षों के बीच समग्र रक्षा संबंधों में एक प्रमुख तत्व है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि समुद्री सुरक्षा एक महत्वपूर्ण तत्व है और यह अच्छी तरह से सर्वविदित है कि हम एक ही क्षेत्र में हैं और हमारी सुरक्षा आपस में जुड़ी हुई है। यह कुछ ऐसा है जिसके आधार पर हम काम करना जारी रखते हैं।’’

भाषा रवि कांत सुरेश

सुरेश



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