तिरुवनंतपुरम, 14 अप्रैल (भाषा) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के निलंबित अधिकारी एन प्रशांत ने सोमवार को आरोप लगाया कि केरल के मुख्य सचिव ने शुरू में व्यक्तिगत सुनवाई का इंटरनेट पर सीधा प्रसारण करने और वीडियो रिकॉर्डिंग के उनके अनुरोध पर सहमति जताई थी, लेकिन बाद में बिना कोई कारण बताए अनुमति वापस ले ली।
इस साल फरवरी में मुख्य सचिव को भेजे एक खुले पत्र में प्रशांत ने दावा किया था कि उनके खिलाफ कार्यवाही अनुचित तरीके से की गई थी और सरकार से आरोप वापस लेने का आग्रह किया था।
उन्हें सोशल मीडिया पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ए जयतिलक की आलोचना करने के कारण नवंबर 2024 में निलंबित कर दिया गया था।
प्रशांत ने सुनवाई का भी अनुरोध किया, जिसकी डिजिटल रिकॉर्डिंग की जाए और इंटरनेट पर सीधा प्रसारण किया जाए।
इसके बाद चार अप्रैल को प्रशांत को 16 अप्रैल को मुख्य सचिव के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई, के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया गया।
हालांकि, 11 अप्रैल को सरकार ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित व्यक्तिगत सुनवाई का इंटरनेट पर सीधा प्रसारण या रिकॉर्डिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रशांत ने सोमवार को एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया कि सुनवाई को रिकॉर्ड करने और प्रसारण करने का उनका अनुरोध चार अप्रैल को पूरी तरह से स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन 11 अप्रैल को अप्रत्याशित रूप से इसे वापस ले लिया गया।
एक अन्य आईएएस अधिकारी के गोपालकृष्णन को सरकारी अधिकारियों के लिए कथित तौर पर धर्म आधारित व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के लिए निलंबित किया गया था। दोनों को पिछले साल 11 नवंबर को निलंबित किया गया था।
जनवरी में, केरल सरकार ने गोपालकृष्णन को बहाल कर दिया, लेकिन प्रशांत का निलंबन 120 दिनों के लिए बढ़ा दिया।
प्रशांत ने फेसबुक पर जयतिलक, गोपालकृष्णन और सरदा मुरलीधरन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।
भाषा नोमान माधव
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