बरेली (उप्र), एक अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बरेली में 933 करोड़ रुपये की 132 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
मुख्यमंत्री ने राज्य में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक जीवन रक्षक सुविधाओं से लैस 2554 नये एंबुलेंस वाहनों को भी हरी झंडी दिखाई।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सरकारी स्कूलों में दाखिले को बढ़ावा देने के लिए ‘स्कूल चलो अभियान’ और संक्रामक रोगों के उन्मूलन के उद्देश्य से ‘विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान’ की शुरुआत की।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में लोगों के कल्याण के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने स्कूल चलो अभियान पर जोर देते हुए कहा, ”कोई भी बच्चा छूटने न पाए। हम सबको स्कूल चलो अभियान के साथ जुड़ना होगा। यह जिम्मेदारी मैं आप सबको सौंपने के लिए आया हूं। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। यह समाज की जिम्मेदारी भी बनती है। समाज भी इस बात को खुद पर ले कि अगर कोई बच्चा अनपढ़ रह जाता है तो यह समाज और राष्ट्र के लिए भी एक चुनौती है। इसका खामियाजा पूरे समाज और देश को भुगतना पड़ता है।”
आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2017 में बेसिक शिक्षा परिषद की स्थिति अत्यंत खराब थी, तमाम स्कूल बंदी की कगार पर थे और ना उनमें शौचालय की व्यवस्था थी और ना ही फर्नीचर की, लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है।
आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में 2017 में एक करोड़ 24 लाख बच्चों ने नामांकन कराया था जिनमें से 60 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जो कभी स्कूल नहीं जाते थे, लेकिन आज मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि स्कूलों का कायाकल्प कराने के बाद हमने एक करोड़ 91 लाख बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में प्रति बच्चा 1200 रुपये की दर से राशि भेजने का काम किया।”
उन्होंने कहा कि 96 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जिनमें ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था, पेयजल की व्यवस्था, स्कूल की फ्लोरिंग की व्यवस्था, स्मार्ट क्लास की व्यवस्था, डिजिटल लाइब्रेरी की व्यवस्था और फर्नीचर की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक करोड़ 91 लाख बच्चों को वर्ष में दो स्कूल वर्दी, बैग, किताबें, जूते-मोजे और स्वेटर अनिवार्य रूप से सरकार के स्तर पर दिये जाते हैं और आज बच्चों के मन में आता है कि वह भी इस समाज के नागरिक हैं।
मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से आह्वान करते हुए कहा, ”मैं आप से आह्वान करूंगा कि इस अभियान के साथ जुड़कर, इस राष्ट्रीय मिशन को आगे बढ़ाकर प्रदेश की साक्षरता को बढ़ाएं और हर बच्चे को साक्षर और सुयोग्य बनाएं।’’
उन्होंने कहा, ”यहां पर उपस्थित सभी जनप्रतिनिधियों से, जनता जनार्दन से सभी गुरुजनों से और सभी धर्माचार्यों से मैं अपील करूंगा कि हर बच्चे को खास तौर पर बेटी को जरूर स्कूल भेजें। आपके द्वारा किया गया यह कार्य देश के निर्माण में आपकी भूमिका को आगे बढ़ाने में योगदान देगा। कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित नहीं रहने पाए। यह जिम्मेदारी पूरे उत्तर प्रदेश वासियों को मैं सौंप रहा हूं।’’
मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा परिषद में छात्र और शिक्षक का अनुपात ठीक करने के लिए 1,25,000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार पीएम श्री योजना के तहत 1500 विद्यालयों का कायाकल्प भी कर रही है।
अटल आवासीय स्कूलों की तरह बेसिक शिक्षा परिषद ने भी हर जनपद में मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय शुरू करने का निर्णय लिया है। पहले चरण में 57 जिलों में यह विद्यालय शुरू होने जा रहे हैं।
इसे आगे के चरणों में तहसील, विकासखंड और न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित किया जाएगा।
इस अवसर पर विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान की शुरुआत करने वाले मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ”आज उत्तर प्रदेश सरकार संचारी रोग नियंत्रण के एक बड़े कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है। इंसेफेलाइटिस, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, कालाजार जैसी विषाणु जनित बीमारियों से बचाव के लिए व्यापक जन जागरूकता कार्यक्रम की श्रृंखला में आज हम यहां पर आए हैं।’’
उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र अलग-अलग संचारी रोगों के लिए अत्यंत संवेदनशील हैं। अगर आप पूर्वी उत्तर प्रदेश में जाएंगे तो गोरखपुर, बस्ती मंडल के कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती इत्यादि जिले इंसेफेलाइटिस के लिए अत्यंत संवेदनशील हैं। बरेली मंडल के बरेली, बदायूं, पीलीभीत और आसपास के जिले मलेरिया की दृष्टि से संवेदनशील हैं। आगरा मंडल के जनपद डेंगू के लिए संवेदनशील हैं। वाराणसी और उसके आसपास के जिले कालाजार के लिए, झांसी और उसके आसपास के जनपद चिकनगुनिया के लिहाज से संवेदनशील माने जाते हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में प्रदेश के अंदर ‘डबल इंजन’ (केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार) सरकार के प्रयास के परिणामस्वरूप इंसेफेलाइटिस पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया गया है, जबकि इसके पहले जुलाई से नवंबर के बीच हजारों बच्चों की मौत गोरखपुर और आसपास के जनपदों में इससे होती थी।
उन्होंने कहा कि मलेरिया लगभग नियंत्रित हो चुका है, लेकिन इसे जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए वह यहां बरेली में आए हैं।
भाषा सलीम संतोष
संतोष