(ओवे होघ-गुल्डबर्ग, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय)
ब्रिसबेन, 25 अगस्त (द कन्वरसेशन) ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ का क्षरण मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण जारी रहेगा और इसे बचाने का समय तेजी से समाप्त हो रहा है। रीफ (शैल-भित्ति) की स्थिति पर एक प्रमुख नयी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है।
यह रिपोर्ट ‘ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क अथॉरिटी’ द्वारा जारी की गई है। यह इस बात की पुष्टि करती है, जो वैज्ञानिक लंबे समय से जानते हैं: मानवता ‘ग्लोबल वार्मिंग’ का कारण बनने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोकने में विफल रहने की वजह से ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ और दुनिया भर की अन्य रीफ (शैल-भित्ति) को नष्ट कर रही है।
मैं इस वर्ष के प्रारम्भ में दक्षिणी ग्रेट बैरियर रीफ के उन भागों में गया था, जहां बड़े पैमाने पर ‘कोरल’ यानी प्रवाल ‘ब्लीचिंग’ (सहजीवी शैवाल और प्रकाश संश्लेषक के कारण प्रवाल के सफेद होने की प्रक्रिया) और उनके नष्ट होने की घटनाएं हुई हैं। तस्वीर बहुत ही भयावह थी। कोरल के बहुत बड़े हिस्से सफेद रंग में बदल गए थे। बीच-बीच में गुलाबी और नीले रंग दिख रहा था: जो प्रवाल के जीवित रहने के लिए आखिरी प्रयास को दर्शाता है। मुझे पता चला है कि कोरल का बहुत बड़ा हिस्सा अब नष्ट हो चुका है।
जो मैंने देखा, उसे जानकर प्रवाल भित्तियों के बारे में थोड़ी भी जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति परेशान हो जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति बहुत ही बुरी हालत में है। जब मैं तैर रहा था, तो मेरे दिमाग में यह बात चल रही थी कि 2023 पृथ्वी का अब तक का सबसे गर्म साल था। ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ कम से कम पिछले 400 वर्षों में सबसे गर्म रहा।
यदि मानवता ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए बड़े कदम नहीं उठाए, तो हम हजारों वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद खूबसूरत, जटिल प्रवाल को खो देंगे। यह इस ताजा रिपोर्ट से पता चलता है। यहां तक कि सरकारें और अधिकारी भी अब इस तथ्य को स्वीकार करते हैं।
कोई गलती न करें: प्रवाल भित्ति बहुत बुरे दौर से गुजर रही है
शुक्रवार को देर रात जारी की गई ‘2024 ग्रेट बैरियर रीफ आउटलुक रिपोर्ट’ इसके स्वास्थ्य संबंधी पांच वर्षीय रिपोर्ट की श्रृंखला में चौथी रिपोर्ट है।
इसमें पाया गया कि गर्म होते महासागर और गंभीर उष्णकटिबंधीय चक्रवात ‘क्राउन-ऑफ-थॉर्न स्टारफिश’ प्रकोप, खराब जल गुणवत्ता और मछली पकड़ने की गतिविधियों की अस्थिरता जैसे अन्य खतरों को बढ़ा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल में कुछ प्रवाल प्रजातियों की स्थिति में सुधार हुआ है और वे ‘‘बहुत खराब’’ से ‘‘खराब’’ की श्रेणी में आ गई है। हमें इस बारे में बहुत उत्साहित नहीं होना चाहिए। इसका मतलब है कि तेजी से बढ़ने वाली कुछ प्रवाल प्रजातियां वापस उभर रही हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रवाल की समग्र संभावनाएं अब भी खराब बनी हुई हैं। जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है:
हालांकि पारिस्थितिकी तंत्र के कुछ मूल्यों में हाल में हुए सुधार से यह पता चलता है कि चट्टान अब भी स्वयं को परिस्थिति के अनुसार ढाल रही है, लेकिन तेजी से बदलती जलवायु के कारण इसकी सहनशीलता और इसके ढलने की क्षमता खतरे में पड़ गई है।
सशक्त नेतृत्व की जरूरत है:
मैं पहली बार 1980 में एक विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में ग्रेट बैरियर रीफ गया था। इसमें मेरी रुचि कभी कम नहीं हुई। यह प्रकृति के उन अविश्वसनीय हिस्सों में से एक है, जिसका वर्णन करना असंभव है।
‘रीफ’ को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना इसके उत्कृष्ट वैश्विक मूल्य का प्रमाण है। ऑस्ट्रेलियाई लोग इस विशाल और अद्भुत स्थान से प्रेम करते हैं और इस पर गर्व महसूस करते हैं। ‘रीफ’ कई लोगों की आजीविका का साधन है। यह हम सभी को आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से सहारा देता है।
मानवता को वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन हम विफल हो रहे हैं। हम ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ और पूरे ग्रह में प्रवाल शैल भित्तियों को नष्ट कर रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया निस्संदेह इसका हिस्सा है। यदि हम ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ को बचाना चाहते हैं, तो इस देश को उस जीवाश्म ईंधन का निर्यात नहीं करना चाहिए, जिसे अन्य देशों में जलाया जाता है। इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर हर स्तर तक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता होगी।
मानवता के सामने सभी तथ्य मौजूद हैं। पृथ्वी बहुत तेजी से परिवर्तन के एक अज्ञात दौर से गुजर रही है। अगर हम अभी कदम नहीं उठाएंगे, तो हम ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ को खो देंगे।
द कन्वरसेशन सिम्मी दिलीप
दिलीप